ये सीढ़ी फिसल न जाए कहीं | BLOG BY RUPESH SAHU

ये सीढ़ी फिसल न जाए कहीं

ये सीढ़ी फिसल न जाए कहीं

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 11:21 AM IST
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Published Date: February 20, 2019 7:26 am IST

ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो
तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं

दुष्यंत कुमार की ये चंद शब्द वर्तमान राजनीति की खींचतान को भी बयां करते हैं। दरअसल पुलवामा हमले के बाद पूरा देश एकजुट हैं। सभी चाहते हैं कि पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई हो, लेकिन सीमा पार से केवल आतंक नहीं पनपता इस देश को बांटने का मंसूबा भी पलता है। हमारे देश के कुछ सियासतदार अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। किसी को सर्जिकल स्ट्राइक भी एक प्रोपेगेंडा लगता है तो किसी को अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के आरोपों में सच्चाई नजर आने लगी है।

आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के बयान पर गौर फरमाया है। उनका कहना है कि हम स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालाना बर्दाश्त नहीं करेंगे और न ही राजनैतिक फायदे के लिए सेना से खिलवाड़ बर्दाश्त करेंगे।

कभी सत्ताधीश पार्टी के साथ गलबहियां कर चुके चंद्रबाबू नायडू, महागठबंधन में शामिल होते ही कई सारी शंकाओं में घिर गए हैं। उनका ताजा बयान सामने आया है । नायडू के मुताबिक ‘पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान से कई शंकाएं उत्पन्न हुई हैं। सत्ताधारी पार्टी की अक्षमता के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता अपनी हरकतों से देश के सम्‍मान को ठेस पहुंचाने का काम करते दिख रहे हैं। अपने फायदे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए सेना का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आतंकी हमलों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।’

शायद चंद्रबाबू ने उस बयान को नहीं देखा जो पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के जवाब में विदेश मंत्रालय ने जारी किया था । विदेश मंत्रालय का कहना है कि हमें इस बात का कोई आश्चर्य नहीं है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पुलवामा में हमारे सुरक्षा बलों पर हमले को आतंकवाद की कार्रवाई मानने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने न तो इस जघन्य कृत्य की निंदा की और न ही शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता रवीश कुमार ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि पाकिस्‍तान के पीएम ने जैश-ए-मुहम्‍मद के साथ-साथ आतंकवादी द्वारा किए गए दावों को नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि जैश-ए-मुहम्‍मद और उसके नेता मसूद अजहर पाकिस्तान में रह रहे हैं। कार्रवार्इ के लिए पाकिस्‍तान के पास पर्याप्‍त साक्ष्‍य है। अगर भारत सुबूत देता है तो पाकिस्तान पीएम ने इस मामले की जांच करने की पेशकश की है। यह एक असंतोषजनक बहाना है। इससे पहले 26/11 को मुंबई में हुए भीषण हमले में पाक को सुबूत मुहैया कराया गया था। इसके बावजूद मामले में 10 साल से अधिक समय तक कोई प्रगति नहीं हुई है। उसी तरह, पठानकोट में आतंकी हमला हुआ, जिसमें कोई प्रगति नहीं हुई।

पुलवामा आतंकी हमले पर पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत पर सवाल उठाए है, इमरान खान ने कहा था कि चुनाव नजदीक हैं इसलिए पाकिस्तान का नाम उछाला जा रहा है, इमरान के इसी आरोप को चंद्रबाबू का समर्थन मिल गया है। सवाल ये नहीं कि इमरान खान ने क्या कहा, मुद्दा ये है कि हमारे प्रदेश के मुखिया भी उसी भाषा में बात कर रहे हैं, और तो और देशवासियों को डराने के साथ ही सेना के मनोबल को भी कम आंक रहे हैं। लेकिन शायद वो ये नहीं समझ रहे कि सेना मौत के डर से बंकर में नहीं दबी नहीं रहती, लड़ते हुए यदि वो शहादत भी पा जाती है तो उसकी अर्धांगिनी उसी जज्बे के साथ दुश्मनों को ललकारती है। चंद्रबाबू ने शायद शहीद विभूति की पत्नी को नहीं सुना, तब शायद वो कुछ ओर भाव प्रकट करते ।

 
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