नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर से अभी लोगों को राहत मिली नहीं कि ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है। ब्लैग फंगस लोगों की जान लेने लगा है। हालात को देखते हुए देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है। वहीं, ब्लैक फंगस को लेकर लोग थोड़े जागरूक हुए थे कि व्हाइट फंगस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। आइए जानते हैं कि व्हाइट फंगस क्या है और इसे कैसे पहचाना जा सकता है।
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देश में व्हाइट फंगस का मामला बिहार से सामने आया है। वहीं, हेल्थ एक्सपर्ट व्हाइट फंगस को ब्लैक फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह ब्लैक फंगस से कहीं ज्यादा तेजी से शरीर में फैलता और अंगों को प्रभावित करता है।
डॉक्टर्स की मानें तो व्हाइट फंगस फेफड़ों, किडनी, आंतों, पेट, प्राइवेट पार्ट्स और यहां तक कि नाखूनों में भी बहुत आसानी से फैलता है। व्हाइट फंगस धीरे-धीरे पूरे शरीर को संक्रमित कर देता है। हालांकि अभी डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि नहीं की है कि व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस की तरह लोगों की जान जे रहा है या नहीं।
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क्या हैं लक्षण
जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं, आपको हर तरह के लक्षणों को लेकर बहुत जागरुक रहने की जरूरत है। ब्लैक फंगस जहां साइनस, आंखों और फेफड़ों को मुख्य रूप से निशाना बनाता है, व्हाइट फंगस शरीर के सभी जरूरी अंगों को खराब कर देता है।
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ब्लैक फंगस कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को अपना शिकार बना रहा है। वहीं व्हाइट फंगस में ऐसा नहीं है। बिहार में व्हाइट फंगस के जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें मरीजों को कोरोना जैसे ही लक्षण थे लेकिन इन सबकी रिपोर्ट नेगेटिव थी।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह कोरोना के गंभीर मरीजों का कई तरह का स्कैन किया जाता है। ठीक उसी प्रकार व्हाइट फंगस के मरीजों का भी स्कैन किया जाता है। इसमें भी HRCT स्कैन कराने की जरूरत पड़ती है। वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक व्हाइट फंगस गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे बचाव के लिए अपने आस-पास सफाई पर ध्यान दें क्योंकि सारे फंगस मुख्य रूप से गीली मिट्टी में पनपते हैं और पर्यावरण को दूषित करते हैं। सांस के जरिए अंदर जाकर ये मरीज को और बीमार कर देते हैं।
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