नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2002 गुजरात दंगों (Gujarat riots) के दौरान गैंगरेप का शिकार हुई बिलकिस बानो (Bilkis Bano) की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार (Gujarat Government) को आदेश दिया कि पीड़िता को दो हफ्ते के भीतर 50 लाख रुपये मुआवजा (Compensation) दिया जाए. साथ ही आदेश दिया कि बिलकिस बानो को सरकारी नौकरी (Government Job) और रहने के लिए आवास भी दिया जाए. बता दें कि दंंगों के दौरान अहमदाबाद के नजदीक हिंसक भीड़ ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो से गैंगरेप किया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी.
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class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">2002 Gujarat
riots case: Supreme Court today directed the Gujarat government to pay a
compensation of Rs 50 lakh as well as a job and accommodation to
gangarape survivour Bilkis Bano within two weeks. <a
href="https://t.co/WseclTSb9l">pic.twitter.com/WseclTSb9l</a></p>—
ANI (@ANI) <a
href="https://twitter.com/ANI/status/1178544246015414272?ref_src=twsrc%5Etfw">September
30, 2019</a></blockquote>
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अप्रैल में भी दिया गया था यही आदेश, अब दिया गया दो हफ्ते का समय
बिलकिस बानो की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो हफ्ते का समय दिया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2019 को मामले में दिए आदेश में पीड़िता बिलकिस याकूब रसूल को 50 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और घर देने का आदेश दिया था. गुजरात सरकार की ओर से आदेश का अब तक पालन नहीं किए जाने के बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी.
बिलकिस बानो ने ऐसा मुआवजा देने को कहा था जो मिसाल बने
अप्रैल, 2019 में मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ को गुजरात सरकार ने बताया कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है. पुलिस अधिकारियों के पेंशन लाभ रोक दिए गए हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी आईपीएस अधिकारी का दो रैंक डिमोशन कर दिया है. इससे पहले बिलकिस बानो ने पांच लाख रुपये मुआवजा देने की गुजरात सरकार की पेशकश ठुकराते हुए ऐसा मुआवजा मांगा था, जो दूसरों के लिये मिसाल बने.
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21 साल की बिलकिस के सात परिजनों की हत्या भी कर दी थी
बता दें कि गोधराकांड के बाद गुजरात में भड़के दंगों के दौरान अहमदाबाद के नजदीक रणधीकपुर गांव में उग्र भीड़ ने 3 मार्च, 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर हमला कर दिया था. इस दौरान 21 साल की बानो के साथ गैंगरेप किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई. विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को मामले में 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. वहीं, पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था. इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4 मई, 2017 को पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी का सही से निर्वहन नहीं करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के अपराध में आईपीसी की धारा-218 व धारा-201 के तहत दोषी ठहराया था.
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