बिलासपुर । बिलासपुर विश्वविद्यालय लगभग चार साल बाद पीएचडी की प्रक्रिया फिर शुरू करने जा रहा है। जून 2016 में बिलासपुर विवि ने पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी और 324 छात्रों ने पीएचडी कराने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। इन छात्रों से फीस के तौर पर बिलासपुर विवि ने बीस लाख रूपए से ज्यादा की रकम जमा करवायी थी। लेकिन कुछ समय बाद यूजीसी के द्वारा पीएचडी कराने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की बात कहते हुए विवि प्रबंधन ने पीएचडी कराने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी और छात्रों के पैसे भी वापस नहीं किये गए थे।
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उसके बाद विवि प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ छात्रों को कोर्ट जाना पड़ा जिसके बाद अब लगभग चार साल बाद विवि प्रबंधन ने विधिक सलाह लेकर पीएचडी कोर्स की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि इस दौरान 27 शोधार्थियों ने विश्वविद्यालय छोड़ दिया है और एक गाइड की भी मौत हो गयी है। विवि प्रबंधन की लापरवाही की वजह से जितने समय में शोधार्थियों को उपाधि मिल जानी चाहिए थी, उतने समय में बिलासपुर विवि प्रबंधन शुरूआती प्रक्रिया तक भी नहीं पहुंच पाया है।
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इस विषय मे जे डी शर्मा का कहना है कि फरवरी में निर्णय लिया गया है कि तीन साल पहले जो पीएचडी का निर्णय लिया गया था। जिस पर आयोग ने रोक दिया था और जिसके बाद छात्र कोर्ट गए थे, हम लीगल ओपिनियन लेकर ये तय किए हैं कि उस प्रक्रिया को शुरू किया जाये।इसके तहत अब जानकारी मंगाई जा रही है कि कितने छात्र हैं जो पीएचडी के लिए नियमित कोर्स करना चाहते हैं।
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