नई दिल्ली। कोरोना महामारी से मार्केट में छाए मंदी के दौर में सरकार ने थोड़ी राहत दी है। सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के अंतर्गत आने वाले छोटी राशि का कर्ज ले रखे कर्जदाताओं को 2 फीसदी ब्याज सहायता देने को मंजूरी दी है।
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केंद्रीय कैबिनेट ने फैसला लिया है कि 50 हजार रुपए तक शिशू लोन कैटिगरी के तहत मुद्रा लोन वालों को ब्याज में 2 फीसदी की छूट मिलेगी। मुद्रा योजना के तहत यह सबसे निचली श्रेणी में दिया जाने वाला कर्ज है। अबतक 9 करोड़ 37 लाख लोगों को मुद्रा योजना के तहत शिशु ऋण दिए गए हैं। मुद्रा योजना के तहत तीन तरह के लोन दिए जाते हैं। इनमें शिशु लोन, किशोर लोन और तरुण लोन शामिल हैं।
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मुद्रा योजना के जरिए खुद का बिजनेस शुरू करने वालों को आर्थिक मदद मिलती है। वे लोग जिनके पास कोई बिजनेस आइडिया है लेकिन पैसों की तंगी के चलते वे अपने इस आइडिया को जमीनी स्तर पर लागू नहीं कर पाते उन्हें इससे 10 लाख रुपये तक की मदद मिलती है। इस योजना को अप्रैल 2015 में शुरू किया गया था।
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शिशु श्रेणी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दो फीसदी ब्याज सहायता से सरकारी खजाने पर करीब 1,542 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इस कदम से उन लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा जो नियमित तौर पर कर्ज लौटाते हैं। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) से संबंधित इस योजना की घोषणा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को पीएमएमवाई की शुरुआत की थी।
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मुद्रा कर्ज के नाम से चर्चित यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटी राशि के कर्ज कर्ज देने वाले संस्थान (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां देती हैं। योजना का क्रियान्वयन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) करेगा और यह 12 महीने के लिए लागू होगा।
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