ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में जाति प्रमाणों में बड़ा फर्जीवाड़ा समाने आया है। ग्वालियर में 5 जुलाई 2001 से लेकर 31 मार्च 2003 तक पदस्थ रहे एसडीएम अतुल सिंह की साल 2005 में मृत्यु होने के बाद उनके नाम से फर्जी साइन और सील के जरिए बड़े पैमाने पर जाति प्रमाण पत्र बनाए गए थे।
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आशंका जताई गई है कि ये क्रम अभी भी जारी है। दरअसल साल 2014 में तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि ने इस मामले की जांच कराई थी। लेकिन जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि उस दौरान और उसके बाद भी फर्जी प्रमाण बनते रहे हैं।
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अब बीते पिछले 6 महीने में ही एसडीएम लश्कर से लेकर एसडीएम मुरार के पास करीब 300 जाति प्रमाण पत्र जांच के लिए आए हैं। जिनमें से करीब 102 जाति प्रमाण पत्र फर्जी निकले है। इनकी रिपोर्ट संबंधित एसडीएम ने शासन की ओर प्रदेश की छानबीन समिति को दी है। इन जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर सैकड़ों लोग पटवारी, सब इंस्पेक्टर, सहकारिता निरीक्षक, सब रजिस्टार सहित मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग में होने वाली परीक्षाओं में भी शामिल हो चुके हैं। इसके बाद अब उनके प्रमाण पत्रों को जांच के लिए और छानबीन समिति… संबंधित उम्मीदवार के संबंधित क्षेत्र के एसडीएम के पास भेज रही है। जिसमें उनके पते वेरीफाई नही हो रहे हैं।
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