बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि पिछली सरकार की तरह भूपेश सरकार भी संसदीय सचिव नियुक्त करेगी। उन्होंने इस सरकार में भी संसदीय सचिव की नियुक्ति की बात कही। उन्होंने कहा कि संसदीय सचिव केवल हाईकोर्ट के आदेश और निर्णय के अनुरूप ही कार्य करेंगे।
बता दें कि कांग्रेस विधायकों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सबको संतुष्ट कर पाना सरकार के लिए मुश्किल है। कई वरिष्ठ विधायक नाराजगी रखे हुए हैं कि उन्हें वरिष्ठ होने के बाद भी मंत्रीपद नहीं मिला। कहा जा रहा है कि अमरजीत भगत तो शपथ ग्रहण करने के बाद से सिर्फ इसीलिए अपने गृहक्षेत्र नहीं लौटे हैं कि उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इसलिए वे अब तक रायपुर में ही रुके हुए हैं।
हालांकि भूपेश सरकार में संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर भाजपा पहले से नजर बना हुए है, क्योंकि बतौर विपक्ष कांग्रेस ने भाजपा सरकार में बनाए गए संसदीय सचिवों का विरोध किया था। मंत्री अकबर ने तो संसदीय सचिवों के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका भी लगाई थी। भाजपा सरकार में 11 संसदीय सचिवों को मंत्रियों की तरह सुविधाएं और काम करने का अधिकार मिला हुआ था।
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विपक्ष में रहते हुए अकबर और आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश चौबे ने अलग-अलग याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव लाभ का पद है। नियुक्तियों को रद करने की अपील की थी। इसी साल चार-पांच माह पहले अदालत ने आदेश दिया था कि संसदीय सचिव अपने पद पर बने रहेंगे। लेकिन इस संबंध में मिलने वाले अधिकार और अतिरिक्त सुविधाओं का उपभोग नहीं कर सकेंगे।