धमतरी। कहते हैं कि आवश्यकता के गर्भ से अविष्कार का जन्म होता है। वहीं मजबूरी के गर्भ से जुगाड़ का जन्म होता है, जी हां धमतरी में कुछ ऐसा ही हुआ है, जो शायद प्रदेश का पहला अपनी तरह का जुगाड़ है। .
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कैलाश तिवारी वृद्धावस्था में भी रिक्शा चला कर अपना परिवार पालते हैं। रिक्शा चालक के रिक्शा की बैटरी जब धोखा देने लगी, तो कैलाश के समक्ष बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई। रिक्शा कहीं भी बिगड़ जाता था, बुढापे में इसे खींचना एक सजा जैसा हो गया था। सवारी भी नहीं मिलती थी। परिवार का खर्च निकालने के रास्ते बंद होने लगे, कैलाश तिवारी मजबूरी में फंस गए थे। अब इस उम्र में कोई नया काम भी नहीं ढूंढ सकते थे। तब दिमाग में नया विचार कौंधा।
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बैटरी की चार्जिंग से तंग आ चुके कैलाश ने रिक्शा को सोलर पावर की सहायता से चलाने का विचार किया। इसके लिए कैलाश ने क्रेडा से संपर्क किया। इंटरनेट पर जानकारी खंगाली, कुछ फोन काल किए और एक जुगाड़ ढूंढ लिया। कैलाश ने अपने दिमाग में आए आइडियाको मूर्त रुप देने की कोशिश की, कैलाश ने इसकी शुरुआत रिक्शे की छत पर सोलर प्लेट लगाने से की है। सोलर पावर के जरिए बैटरी लगातार चार्ज होती रहेगी और रिक्शा कहीं रुकता नहीं है।
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इसका खर्च 40 हजार रु की जानकारी कैलाश को लगी। बुजुर्ग चालक ने इसके लिये कर्ज लिया और अपनी रिक्शा के लिए सोलर प्लेट वाला बनवा ली। इस जुगाड़ से बैटरी खत्म होने का रिस्क तो खत्म हो गया, झंझट और तनाव खत्म हुआ। कैलाश की कमाई भी बढ़ गई। आज जब ये रिक्शा धमतरी में दौड़ता है तो लोग कौतूहल से उसे देखते हैं। ये आइडिया अब दूसरे रिक्शा चालकों को भी लुभा रहा है।