जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व की काछनगादी की महत्वपूर्ण रस्म शुक्रवार की शाम निभाई गई। परंपरा के अनुसार राज परिवार के सदस्य काछन देवी बनी कन्या से दशहरा मनाने की अनुमति मांगने पंहुचे, जिसके बाद राजपरिवार के सदस्य व दशहरा समिति के से जुड़े लोग राज महल के ओर वापस लौटे। इस बिच ढोल नगाड़ों व पारंपरिक धुन के साथ राजपरिवार के सदस्यों का स्वागत किया गया।
बता दें की परंपरा अनुसार मिरगान जाति की 10 से 12 वर्ष की कुंवारी कन्या बेल के कांटों के झूले में झूलती है। देवी के रूप में कन्या से बस्तर रियासत के सदस्य दशहरा मानाने की अनुमति मांगते हैं। काछन देवी के लिए चयनित कन्या नवरात्र शुरू होने से एक सप्ताह पूर्व से उपवास करती है और दशहरा तक इसे जारी रखती है। दशहरा के दिन काछन जात्रा होती है, उसी दिन काछन देवी समेत अन्य गांवों से आए देवी देवताओं की विदाई दी जाती है। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने सीमित लोगों के उपस्थित में दशहरा पर्व की रस्म अदायगी की गाइडलाइन जारी की। इस दौरान राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन का पालन करते हुए परंपरा अनुसार दशहरा मनाने की बात कही है।