नई दिल्ली । आज रात 9 बजकर 33 मिनट पर हमारी पृथ्वी के नजदीक से भारी भरकम एस्टेरॉयड गुजरेगा। अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसे बेहद खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में रखा है। 2001 एफओ 32 नाम के इस क्षुद्र ग्रह को मध्यम बड़े टेलिस्कोप से देखा जा सकता है। इस एस्टेरॉयड लंबाई करीब 996 मीटर है, जो एफिल टॉवर से लगभाग तीन गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस एस्टेरॉयड से पृथ्वी को अगले सैकड़ों वर्षों तक किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। यानि ये एस्टेरॉयड पृथ्वी के इर्द-गिर्द जरुर रहेगा पर पृथ्वी की कक्षा में दाखिल नहीं हो पाएगा।
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वैज्ञानिकों की दी गई जानकारी के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड तकरीबन 34.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से हमारे सौर मंडल से गुजरेगा। यह 5.25 लुनार डिस्टेंस से हमारी पृथ्वी के पास से होकर जाएगा। लुनार डिस्टेंस यानी पृथ्वी और चांद के बीच की औसत दूरी होती है। एक लुनार डिस्टेंस औसतन तीन लाख 84 हजार 400 किलोमीटर के बराबर होता है। इस तरह पृथ्वी के नजदीक आने पर भी यह एस्टेरॉयड तकरीबन 20 लाख किलोमीटर दूर होगा।
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क्षुद्रग्रहों को धूमकेतु और मेटोरोइड से विभेदित किया जाता है। क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से खनिज और चट्टान से बना होता है, वहीं धूमकेतु धूल और बर्फ से बना होता है, क्षुद्रग्रहों और meteorids के बीच का अंतर मुख्य रूप से आकार में से एक है,उल्कापिंडों का एक मीटर से कम का व्यास है, जबकि क्षुद्रग्रहों का एक मीटर से अधिक का व्यास का होता है।
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क्षुद्रग्रह या एस्टेरॉयड हमारे सौर मण्डल केपरिवार का ही हिस्सा हैं, ये अधिकतर मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह (ज्यूपिटर) की कक्षाओं के बीच चक्कर लगाते हैं। हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है। यहां तीन और 400 किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं जिनके नाम हैं- वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ।
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10 hours ago