धर्म। सूर्य की किरणें जब असीरगढ़ के जंगलों में पहुंचती हैं तो सबसे पहले वो इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग के दर्शन करती हैं। शिवलिंग के स्पर्श मात्र से किरणों की दिव्यता बढ़ जाती है। वीराने में मौजूद ये शिव मंदिर….सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर को लेकर कई किवदंतियां मशहूर हैं। अश्वत्थामा की यादों से जुड़ा ये मंदिर काफी प्राचीन है, लेकिन जर्जर हो गई इन दीवारों में श्रद्धा का अलख आज भी जगता है। ये मंदिर इसलिए बेहद ख़ास है…क्योंकि ये बताता है कि आज भी अश्वत्थामा असीरगढ़ के जंगलों में ज़िंदा भटक रहे हैं।
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बुरहानपुर जिले में स्थित इस किले में ही बनेमंदिर की खूबियां देखते ही बनती हैं । भले ही असीरगढ़ अब गुमनामी में बसर करता है। लेकिन ये मंदिर अब भी चहल-पहल से भरा-पूरा रहता है। इस मंदिर की दिव्यता हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है । यहां जब सूरज की पहली किरण सबसे पहले किले में शिवलिंग पर ही दस्तक देती है। यहां अद्भुत छिद्र मौजूद है, जिसके ज़रिए सूर्य की किरणें शिवलिंग तक सबसे पहले पहुंचती हैं। इसे मंदिर के स्थापत्य की विशेषता ही कहेंगे कि इस दुर्लभ छिद्र के ज़रिए सूर्य की किरणें शिवलिंग तक पहुंचती हैं ।
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मंदिर के ध्वज पर जब सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो वहां का मौसम देखते बनता है। सदियों से मंदिर में वीरानगी पसरी हुई है, जिसके चलते मंदिर चमगादड़ों ने बसेरा बना लिया है । लेकिन भक्तों के आते ही अपने आप चमगादड़ चले जाते हैं । अद्भुत स्थापत्य, दिव्य अनुभूतियों और चमत्कार की कहानियों वाला ये मंदिर आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है । ये मंदिर हज़ारों सालों से अश्वत्थामा की यादों की धरोहर संभाले बैठा है ।
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