इस्लामाबाद। अमेरिकी नागरिक डेनियल पर्ल के हत्यारे और आतंकी उमर शेख को पाकिस्तान की फांसी की सजा को खत्म करने के पाकिस्तान कोर्ट के फैसले की पूरे विश्व में आलोचना हो रही है। अमेरिका ने भी इस पर अपनी गहरी नाराजगी जताई की है। डेनियल पर्ल की नृशंस हत्या करने वाले आतंकी उमर शेख और उस जैसे दूसरे आतंकी पाकिस्तान में या तो खुले घूमते रहे या फिर नाम के लिए जेलों में कैदी बनकर रहे। पाकिस्तान में पर्ल के हत्यारों को उन्हें कैद करने की दो बड़ी वजह भी थीं। पहली वजह दुनिया को ये दिखाना था कि पाकिस्तान सरकार उन पर कार्रवाई कर रही है तो दूसरी वजह ये भी थी कि उन्हे कैद में रखकर उन्हें अमेरिका के कोप से बचाया जा सके।
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डेनियल पर्ल के हत्यारे और आतंकी मर शेख को पाकिस्तान की कोर्ट ने उसको महज सात साल की सजा सुनाई है। लेकिन वह 18 वर्षों से जेल में है, कुछ दिनों में उसकी रिहाई भी हो जाएगी। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द डॉन ने अपने संपादकीय में इस फैसले पर आश्चर्य मिश्रित नाराजगी व्यक्त करते हुए आतंकी उमर शेख को दुनिया के खतरनाक आतंकियों में शुमार किया है। संपादकीय में कहा गया है कि सरकार को कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए।
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आपको याद दिला दें कि मार्च 2007 में अल कायदा के आतंकी सद्स्य खालिद शेख मोहम्मद ने इस बात का खुलासा किया था कि उमर शेख ने ही डेनियल का सिर धड़ से अलग किया था। ये दावा उसने गुआंतानामो जेल में लगी अदालत के दौरान किया था। डेनियल पर्ल को वाल स्ट्रीट जनरल के साउथ एशिया ब्यूरो चीफ थे। उनका ऑफिस मुबई में था। इसके बाद पर्ल मुंबई में ही बस गए थे।
आतंकियों ने उनका अपहरण कराची से उस वक्त कर लिया था जब वो 9/11 के हमले के बाद अमेरिका द्वारा आतंक के खिलाफ छेड़ी गई जंग की रिपोर्टिंग करने और कुछ तथ्यों का पता लगाने कराची गए थे। 23 जनवरी 2002 को कराची के एक गांव के ढाबे पर उन्होंने शेख मुबारक अली गिलानी का इंटरव्यू किया था। इसी दिन शाम को करीब सात बजे मेट्रोपोल होटल के समीप उनका आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। आतंकियों ने खुद को नेशनल मूवमेंट फॉर द रेस्टोरेशन ऑफ पाकिस्तान सोवेर्गनटी का सदस्य बताया था। इस ग्रुप का आरोप था कि पर्ल पाकिस्तान में आए एक अमेरिकी जासूस हैं।
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अलकायदा आतंकियों के मुताबिक वो उनके जरिए जेलों में बंद सभी आतंकियों को छुड़वाना चाहते थे। वो चाहते थे कि पर्ल हॉटमेल के जरिए उनकी मांग अमेरिका तक पहुंचाएं। आतंकियों की मांग ये भी थी कि अमेरिका पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों की सप्लाई को रोक दें। अपने एक संदेश में आतंकियों ने कहा था कि वो अमेरिका को उनकी मांगों पर विचार करने के लिए एक अंतिम मौका दे रहे हैं। अमेरिका के पास दो दिन का समय हैं कि वो उनकी मांग मानते हैं या नहीं। यदि ये मांग नहीं मानी गईं तो पर्ल की हत्या कर दी जाएगी। इतना ही नहीं इसके बाद कोई भी अमेरिकी पत्रकार पाकिस्तान में घुस नहीं पाएगा। इसे बाद आतंकियों ने पर्ल की नृशंस हत्या कर दी थी।
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