कोरिया। जिले में नियमों को ताक में रखकर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र द्वारा जमीन बांट देने का मामला सामने आया है। एमपी एग्रो को 1988 में बैलगाड़ी परियोजना के लिए 10 एकड़ जमीन लीज पर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र द्वारा दी गई थी। लीज समाप्त होने के बाद पिछले एक साल में यहां की जमीन कई व्यापारियों और उद्यमियों को बिना प्रक्रिया का पालन किये दे दी गई । ऐसे 18 लोगों की फ़ाइल पूर्व जीएम शैलेन्द्र रंगा के कमरे का ताला तोड़कर निकाली गई है । कलेक्टर से लेकर उद्योग विभाग के संचालक तक इसकी जानकारी पहुंच गई है । अब जमीनों के किये गए आबंटन की जांच शुरू हो गई है ।
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मध्यप्रदेश राज्य कृषि उद्योग विकास निगम को बैलगाड़ी परियोजना के लिए 1988 में मनेन्द्रगढ़ के चैनपुर इलाके में जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र से 4 हेक्टेयर जमीन लीज पर मिली। 15 साल बाद 2004 में उद्योग विभाग ने बैलगाड़ी प्रोजेक्ट शुरू नहीं होने के कारण जमीन की लीज निरस्त कर दी। उद्योग विभाग के मुताबिक यह जमीन उनके आधिपत्य में है पर छतीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के बैलगाड़ी परियोजना को लेकर लगा बोर्ड और खण्डर हो चला कार्यालय आज भी है।
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इतना ही नही यहां पर निगम का एक चौकीदार भी पिछले चार साल से रह रहा है। जमीनों की हो रही नाप और लोगों के जमीन देखने आने जाने की जानकारी चौकीदार द्वारा जब निगम के अधिकारियों को दी गई तो निगम ने यहां एक बोर्ड लगवा दिया जिसमें साफ लिखा है कि बैलगाड़ी परियोजना की भूमि पर कोई भी व्यक्ति अनाधिकृत कब्जा न करे। हालांकि उद्योग विभाग के तत्कालीन महाप्रबंधक शैलेन्द्र रंगा के समय एक दलाल की मिलीभगत से बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये 8 से 10 दस और बीस हजार स्क्वायर फिट तक जमीन दे दी गई। अब नए महाप्रबंधक एम बड़ा द्वारा आबंटित जमीन की फाइलों की जांच शुरू कर दी गई है ।
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जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के नए महाप्रबंधक को पदस्थ होने के बाद जब जमीन के कब्जे होने और बिना किसी निर्धारित प्रारूप के जमीन का आबंटन कर दिये जाने की जानकारी मिली तो उन्होंने फ़ाइल खंगाली पर कार्यालय में फ़ाइल नहीं मिली। जब उनके पहले पदस्थ रहे शैलेन्द्र रंगा के कमरे का ताला तोड़ा गया तब कमरे से अठ्ठारह लोगों की फ़ाइल मिली। जब फाइलों की जांच शुरू हुई तो आधे अधूरे दस्तावेज मिले ।
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सभी जमीनें पूरे जिले में केवल मनेन्द्रगढ़ में महिलाओं के नाम पर आबंटित कर देना पाया गया। जांच में यह बात अभी तक सामने आई है कि बिना निर्धारित प्रारूप में आवेदन किये बिना किसी प्रक्रिया का पालन हुए लोगो को प्रोजेक्ट लगाने जमीन दे दी गई। जबकि जमीन देने के पहले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले आउट एप्रूव होना चाहिए था। पूरे मामले में अभिलेख नहीं होने के साथ ही कई तरह की कमियां सामने आई हैं। पूरी जानकारी जीएम एम बड़ा ने कलेक्टर से लेकर उद्योग विभाग के संचालक को दे दी है।