हाईकोर्ट से योगी सरकार को बड़ा झटका, वसूली के लिए लगाए पोस्टर्स को हटाने का आदेश | Allahabad High court order to yogi Government for remove hording

हाईकोर्ट से योगी सरकार को बड़ा झटका, वसूली के लिए लगाए पोस्टर्स को हटाने का आदेश

हाईकोर्ट से योगी सरकार को बड़ा झटका, वसूली के लिए लगाए पोस्टर्स को हटाने का आदेश

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:55 PM IST
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Published Date: March 9, 2020 11:38 am IST

प्रयागराज: सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शासकीय संपत्ति को तोड़फोड़ करने वालों से वसूली के लिए पोस्टर लगाए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पोस्टर हटाने का आदेश दिया है। बताया गया कि राजधानी लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए दंगाइयों की फोटो वाले 100 पोस्टर लगाए गए हैं। बता दें कि पोस्टर में 57 लोगों का नाम, फोटो, पता और जन्य जानकारी छापी गई है। मामले में सुनवाई चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच में हुई।

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जिला प्रशासन को आदेश देते हुए कहा कि जिला प्रशासन के अधिका​री शहर में लगाए गए सभी पोस्टर्स को 16 मार्च तक हटवाएं और इस संबंध में जानकारी रजिस्ट्रार को दें। हाई कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया गया है।

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इससे पहले रविवार को मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह गंभीर विषय है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और सोमवार को दोपहर दो बजे फैसला सुनाया जाएगा। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।

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यहां हाई कोर्ट सोशल वर्कर, पूर्व आईपीएस की फोटो वाली होर्डिंग्स लगाने को लेकर सख्ती से पेश आया और कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को तलब किया है। कोर्ट ने पूछा कि किस नियम के तहत यह कार्रवाई की गई है। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि क्या सरकार लोगों के निजी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्थानों का अतिक्रमण नहीं कर रही है।

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ जफर और दीपक कबीर की तस्वीरें भी हैं। पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी के लिए होर्डिंग में कहा गया है कि उन्होनें 19 दिसंबर को तोड़फोड़ की जिससे करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जो उन लोगों से वसूला जाएगा। इस मामले में आरोपी सभी लोग जमानत पर बाहर हैं और कहा है कि वे अपनी संपत्ति कुर्क करने के लिए सरकार के किसी भी कदम को अदालत में चुनौती देंगे।

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बता दें कि 19 दिसंबर को हुई हिंसा में राजधानी लखनउ में सरकारी संपत्ति को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया था, जिसके तहत आरोपियों की पहचान के बाद उनके पोस्टर नाम और पता सहित रिकवरी करने के लिए चौराहों पर लटकाए गए थे, जिला प्रशासन का कहना था कि ऐसा करने के पीछे हिंसा करने वालों को बेनकाब करना है।

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