लखनऊ। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आज फैसला सुना दिया है। इस मामले में सभी 32 आरोपी बरी हो गए है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ये पूर्व नियोजित घटना नहीं थी। लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने आदेश जारी कर सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा था। इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे कई बड़े नेता आरोपी हैं। फैसले के मद्देनजर अयोध्या और लखनऊ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
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फैसले के समय लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, रामचंद्र खत्री और सुधीर कक्कड़ सीबीआई कोर्ट में उपस्थित नहीं थे। पांचों आरोपियों की तरफ से उनके वकील कोर्ट में उपस्थित थे। आडवाणी और जोशी अधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य की वजह से नहीं आ पाएंगे। वहीं उमा भारती कोरोना संक्रमित होने के बाद ऋषिकेश ऐम्स में भर्ती हैं। रामचंद्र खत्री हरियाणा के सोनीपत की जेल में एक दूसरे केस को लेकर बंद हैं, जिसके कारण उनकी भी उपस्थिति कोर्ट में नहीं हो सकी। कारसेवक सुधीर कक्कड़ भी मौजूद नहीं थे।
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इस मामले में कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, 32 लोगों को दोषमुक्त किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ये एक तात्कालिक घटना थी, पूर्व नियोजित घटना नहीं थी इसलिए सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। बता दें कि इस मामले में लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, जय भान सिंह पवैया, कल्याण सिंह, विनय कटियार, राम विलास वेंदाती, मंहत धर्मदास, बृजभूषण सिंह, साक्षी महराज, जयभगवान गोयल आरोपी बनाए गए थे। जो कि 6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में शामिल थे।
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