गुड्डे-गुड़ियों की शादी का अनोखा पर्व है अक्षय तृतीया (अक्ती), बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन होती है शादी | Akshaya Tritiya is a unique festival of Gudde-Gudiya wedding

गुड्डे-गुड़ियों की शादी का अनोखा पर्व है अक्षय तृतीया (अक्ती), बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन होती है शादी

गुड्डे-गुड़ियों की शादी का अनोखा पर्व है अक्षय तृतीया (अक्ती), बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन होती है शादी

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 PM IST
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Published Date: May 14, 2021 4:03 am IST

धर्म। देशभर में आज अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती धूमधाम से मनाया जा रहा है। ‘अक्ती’ छत्तीसगढ़ विशेषता से जुड़ा अनोखा पर्व है। इस पर्व को लेकर प्रदेशवासियों में अलग ही उत्साह और उमंग रहता है। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।

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अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती के दिन गांव-गांव में ही नहीं, भिन्न-भिन्न समाजों के महाधिवेशनों में आदर्श विवाह की धूम रहती है। दूसरी ओर बच्चों के लिए यह पर्व बेहद खास होता है। छत्तीसगढ़ में मान्यता के अनुसार बच्चे गुड्डे-गुड़ियों की शादी कर पर्व को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते हैं। इसे लेकर प्रदेश में अलग ही धूम रहती है।

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बताते चले कि अक्ती के दिन बच्चे अपने मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं। कल जिन बच्चों को ब्याह कर जीवन में प्रवेश करना है, वे परंपरा को इसी तरह आत्मसात करते हैं। बच्चे, बुजुर्ग बनकर पूरी तन्मयता के साथ अपनी मिट्टी से बने बच्चों का ब्याह रचाते हैं। इसी तरह वे बड़े हो जाते है और अपनी शादी के दिन बचपन की यादों को संजोए हुए अक्ती के दिन मंडप में बैठते है। अक्ती के दिन महामुहूर्त होता है। बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन शादियां होती हैं।

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भगवान परशुराम जयंती आज

भगवान परशुराम का जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म अन्याय, अधर्म और पापकर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान परशुराम ने ब्राह्माणों और ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत करने के लिए जन्म लिया था। कहते हैं कि परशुराम जयंती के दिन पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। जिन लोगों की संतान नहीं है उन लोगों को इस व्रत को करना चाहिए, इससे उनकी मनोकामना पूरी हो सकती है।

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