सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी पिच पर अखिलेश, अयोध्या के बाद अब चित्रकूट में लगाई कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा | Akhilesh on the political pitch of soft Hindutva, after Ayodhya, now revolves around Kamdagiri mountain in Chitrakoot

सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी पिच पर अखिलेश, अयोध्या के बाद अब चित्रकूट में लगाई कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा

सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी पिच पर अखिलेश, अयोध्या के बाद अब चित्रकूट में लगाई कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:54 PM IST
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Published Date: January 8, 2021 1:21 pm IST

चित्रकूट। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व के तेवर को देखते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी अब मुस्लिम समर्थक छवि से बाहर निकलकर सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी पिच पर उतरना चाह रहे हैं। हिंदू राजनीति से सार्वजनिक तौर पर परहेज करने वाले अखिलेश यादव अब मंदिरों और धार्मिक प्रतीकों की सियासत करने से परहेज नहीं कर रहे। यह तस्वीर देखने को तब मिली जब अखिलेश यादव अयोध्या के बाद धर्मिक नगरी चित्रकूट पहुंचे और वहां पर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाई।

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी चुनाव से पहले राजनीतिक तौर पर सक्रिय हो गए हैं, इस कड़ी में अखिलेश यादव गुरुवार को चित्रकूट पहुंचे, शुक्रवार को सुबह होते ही कामतानाथ मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना और दर्शन की और उन्होंने पुजारी से पूछा और क्या क्या काम यहां कराने हैं? इसके बाद अखिलेश यादव ने कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाई। परिक्रमा लगाते समय सपा प्रमुख ने दुकानदारों से कई जगह रुककर बातचीत भी की, इस दौरान उन्होंने साधु संतों से मुलाकात कर दोबारा यूपी में एक बार फिर सपा सरकार बनाने की अपील की।

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अखिलेश यादव के साथ दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाई, अखिलेश ने कहा कि नेता जी मुलायम सिंह यादव ने चित्रकूट में शिविर किया था और यहीं पर डॉ. राम मनोहर लोहिया ने रामलीला की शुरुआत की थी, तब भी मैं यहां आकर पूरा परिक्रमा मार्ग घूमा था, यहां के मंदिर पुजारी, संत, व्यापारी और दुकानदार सभी समाजवादी पार्टी के सरकार द्वारा किए गए कामों को याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार की जिम्मेदारी थी कि इन कामों को आगे बढ़ाएं लेकिन पूरे काम रोक दिए गए, दुख होता है कि 4 साल के अंदर हवाई पट्टी नहीं बन पाई।

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बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता गंवाने और 2019 में करारी मात खाने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को मुस्लिम छवि से बाहर निकालने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की दिशा में कदम बढ़ा दिया है, इसी कड़ी में वे पिछले महीने आजमगढ़ से वापस लखनऊ लौटते समय अयोध्या में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद को रामभक्त बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि जब राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा तो वह पत्नी और बच्चों के साथ रामलला के दर्शन करने आएंगे।

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अयोध्या और चित्रकूट की यात्रा और मंदिर और मठों में जाकर शीश झुकाकर 2022 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव ऐसे राजनेता के तौर पर अपनी छवि बनाना चाहते हैं जो समावेशी हो, इससे पहले अखिलेश यादव ने अपने आपको कृष्ण भक्त के रूप में पेश किया था। अखिलेश ने इटावा के सेफई में भगवान श्री कृष्ण की 51 फीट ऊंची प्रतिमा लगवाई, इसके अलावा अब वो लगातार मंदिरों में दर्शन करते और माथा टेकते हुए नजर आ रहे हैं।

दरअसल अखिलेश यादव को मालूम है बीजेपी सूबे में एक बार फिर ध्रुवीकरण की राजनीति कर सकती है. और उन्हें मुस्लिम परस्त राजनेता और समाजवादी पार्टी को मुसलमानों की एकमात्र पसंद वाली पार्टी के तौर पर पेश करेगी, इसलिए 2022 की तैयारियों को लेकर अखिलेश यादव बेहद सजग हैं और सभी धर्मों खासकर हिंदू प्रतीकों और देवी-देवताओं के दर पर जाकर माथा टेकना शुरू कर दिया है।

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वहीं अखिलेश के चित्रकूट यात्रा पर योगी सरकार में असंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए एक शेर कहा है “हैरत होती है तुमको मंदिर में देखकर ऐ अखिलेश, क्या बात हो गई, राम याद आ गए।’’ मोहसिन रजा ने कहा जो लोग दरगाह पर चादर चढ़ाने जाते थे, जब लोग दफ्तरों में इफ़्तार पार्टियां मनाते थे वो अब मंदिरों में जा रहे हैं।

 
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