शिवसेना की इन शर्तों से नाराज थे अजीत पवार, रातों रात ऐसे बदल गए राजनीतिक समीकरण...देखिए | Ajit Pawar was upset with these conditions of Shiv Sena, political equations changed overnight

शिवसेना की इन शर्तों से नाराज थे अजीत पवार, रातों रात ऐसे बदल गए राजनीतिक समीकरण…देखिए

शिवसेना की इन शर्तों से नाराज थे अजीत पवार, रातों रात ऐसे बदल गए राजनीतिक समीकरण...देखिए

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 PM IST
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Published Date: November 23, 2019 6:39 am IST

मुंबई। महाराष्‍ट्र में शनिवार सुबह बड़े उलटफेर के तहत बीजेपी ने एनसीपी (NCP) के अजित पवार के समर्थन से सरकार बना ली और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्‍यमंत्री और अजित पवार (Ajit Pawar) ने उप मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली। दोनों दलों ने महज कुछ घंटों में सरकार गठन की वह रणनीति तय ली, जो चुनावी परिणाम के करीब 29 दिन बीतने के बाद भी शिवसेना और कांग्रेस, एनसीपी के साथ मिलकर तय नहीं कर पा रहे थे।

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अभी तक शिवसेना (Shiv Sena) और कांग्रेस (Congress) के साथ गहन चर्चा में मुख्‍य केंद्र बिंदु के रूप में शामिल रहे एनसीपी के अजित पवार ने अचानक पासा पलटा और 30वें द‍िन की सुबह-सुबह बीजेपी के साथ मिलकर राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी (Bhagat Singh Koshyari) के समक्ष शनिवार सुबह-सुबह सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। फिर क्‍या था… दोनों दलों के पास बहुमत का आंकड़ा होने और बीजेपी द्वारा अजित के सहयोग से सरकार बनाने का समर्थन पत्र दिए जाने के बाद राज्‍यपाल ने दोनों दलों को सरकार बनाने की अनुमति दे दी और राजभवन में ही फडणवीस और अजित पवार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवा दी।

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दरअसल, शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस द्वारा मिलकर सरकार गठन किए जाने के मसले पर लगातार बैठकों के दौर के बावजूद पेंच फंसे रहे। सबसे ज्‍यादा अडंगे शिवसेना की तरफ से लगे हुए थे। सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने पूरे पांच साल शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर अड़े हुए थे, जबकि शरद के साथ-साथ अजित पवार इससे नाराजी थे। शुक्रवार को शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की दो घंटे लंबी चली महत्वपूर्ण बैठक में भी शिवसेना ने यही शर्त रखी थी। हालांकि शरद पवार भी इस पर पूर्णत: सहमत नहीं थे। वे एनसीपी का ढाई साल का सीएम चाहते थे और बैठक में यही मसला पेंच बन गया, जिसकी वजह से बैठक बेनतीजा रही।

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बताया जा रहा है कि अजीत पवार भी दो उपमुख्यमंत्री पद के खिलाफ थे और इन्‍हीं सारे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई। शिवसेना 5 साल तक अपने मुख्‍यमंत्री के फॉर्मूले पर टिकी थी। लिहाज़ा, उद्धव ठाकरे की ये जिद तीनों दलों की साझा न्‍यूनतम कार्यक्रम के तहत सरकार नहीं बनवा पाई। शुक्रवार को हुई बैठक में भी कांग्रेस और एनसीपी ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत कुल 27 मुद्दों की फेहरिस्त शिवसेना के सामने रखी थी, जिसमें कट्टर हिंदुत्‍व के मुद्दों पर शिवसेना को खामोशी की हिदायत दी गई थी और कहा गया कि सरकार चलाने के दौरान नीतियों के खिलाफ टिप्पणी नहीं करेंगे।

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उधर, शिवसेना के एक सूत्र का भी कहना था कि उद्धव ठाकरे ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर सोचने के लिए समय मांगा था और वह इस पर राकांपा-कांग्रेस को शनिवार सुबह तक सूचित कर सकते थे, लेकिन वह ऐसा न कर पाए। यानि इस मसले पर कोई सहमति न बन पाई। उद्धव ने कहा था, “विस्तृत चर्चा की गई और सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई मुद्दा छूटे नहीं. चर्चा अभी भी जारी है। जब हर चीज को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तो हम आप से साझा करेंगे।”

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वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि शुक्रवार की चर्चा काफी सकारात्मक रही। चव्हाण ने कहा, “वार्ता अभी पूरी नहीं हुई है..यह कल भी जारी रहेगी।” राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी यही बात कही और कहा कि सभी चीजों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद मीडिया को सूचित किया जाएगा।

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