रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा की विशेष सत्र में राज्य के नए कृषि कानून को लेकर सदन में चर्चा हो रही है। विपक्ष ने सदन में राज्य के कृषि विधेयक में बदलाव के लिए संशोधन और समय की मांग की है। वहीं कृषि कानून को लेकर विपक्ष द्वारा जताई गई आपत्ति पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि यह कानून केंद्र की कृषि कानून के खिलाफ नहीं हैं।
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विपक्ष के विरोध पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इस विधेयक में विज्ञापन की कोई जरूरत नहीं होगी। सदन ने विपक्ष सदस्यों ने इस पर आपत्ति सुनी। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा कि इस विधेयक में किसी विज्ञापन की जरूरत नहीं है। सदन ने सरकार का पक्ष और विपक्षी सदस्यों की आपत्ति सुनी। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 को पुन: स्थापन की अनुमति दी है।
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हमने 7 बिंदुओं पर किया संशोधन: कृषि मंत्री चौबे
सदन में जारी कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि इस कानून पर पूरे देश की निगाहें है। छत्तीसगढ़ के किसानों की मदद के लिए हम कानून बना रहे हैं। हमने मंडी का संशोधन विधेयक पेश किया है। हमने 7 बिंदुओं पर संशोधन किया है। हम किसानों को वाजिब कीमत दिलाना चाहते है। छत्तीसगढ़ के किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। मंडी कानून में आवश्यक संशोधन किया है। बड़ी कंपनियों को रोकने के लिए संशोधन को लाया गया है। किसानों के साथ किसी तरह का फ्राड ना हो सके ऐसा हमारा नया कृषि कानून है।
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हम 7 संशोधन लाए हैं। डीम्ड मंडी को हमने इस कानून में परिभाषित किया है। खंड तीन में हुए संशोधन में हमने यह कहा है कि निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा। बाहर से आने वाले अनाज को लेकर नए कानून में प्रावधान है।
राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार दिया गया है। निरीक्षण में जब्ती का अधिकार दिया गया है। अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का अधिकार होगा। वाद दायर करने का अधिकार मंडी समिति और अधिकारियों को होगा। धारा 49 में न्यायालय के अधिकार को परिभाषित किया गया है।
कोई भी संशोधन केंद्र के कानून के खिलाफ नहीं है। राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए ये कानून लेकर आई है। राज्य के किसानों को इसका सीधा लाभ होगा। हम चाहते है कि इस कानून से हमारी मंडियां मजबूत हो सके, किसानों के उत्पाद को सही दाम मिल सके। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी किसानों के हित में किया जाने वाला सबसे बड़ा कार्य है। केंद्र की चिट्ठी आई है कि राजीव न्याय योजना बोनस का विकल्प है क्या?