चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ हर मोबाइल पर नजर, डाउनलोड या शेयर किया तो होगी जेल | Against child pornography Watch every mobile You will be jailed if you download or share

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ हर मोबाइल पर नजर, डाउनलोड या शेयर किया तो होगी जेल

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ हर मोबाइल पर नजर, डाउनलोड या शेयर किया तो होगी जेल

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 PM IST
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Published Date: January 14, 2020 6:05 pm IST

नई दिल्ली । इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए अब सरकार सख्त कदम उठा रही है।आपके मोबाइल या कंप्यूटर और लैपटॉप में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी कोई भी सामग्री है तो आप खुफिया एजेंसी के राडार पर आ जाएंगे। केंद्र सरकार ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के लिए एजेसियों को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। यह एजेंसी भारत में कहीं भी ऐसी सामग्री ब्राउज, डाउनलोड या शेयर करने पर आरोपी व्यक्ति को पहचान निश्चित करेगी। इसी एजेंसी ने अल्मोड़ा उत्तराखंड में भी एक व्यक्ति पर पोर्नोग्राफी का पहला प्रकरण दर्ज किया है।

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साइबर क्राइम के अधिकारी ने बताया कि नेशनल क्राइम फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटिड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) देशभर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से रिलेटिड कंटेट की शेयरिंग पर नजर रखती है। बीते दिनों एजेंसी ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से रिलेटिड कंटेट के संबंध में एक रिपोर्ट नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग ब्यूरो (एनसीआरबी) नई दिल्ली को भेजी थी जिसमें अल्मोड़ा निवासी किशन सिंह का भी जिक्र था।

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एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, क‍िशन स‍िंह ने बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफी का वीडियो इंटरनेट से डाउनलोड करके अपने साथियों को सोशल साइट पर भेजा था। इस पर एनसीआरबी ने देहरादून साइबर पुलिस स्टेशन को मामले की जांच करके आरोपित पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री डाउनलोड या शेयर करने पर आरोपित के खिलाफ आइटी एक्ट की धारा 67बी के तहत प्रकरण दर्ज किया है। इसमें 5 साल तक की जेल हो सकती है। गृह मंत्रालय ने पूरे देश के सभी साइबर क्राइम थानों को ऐसा कोई भी मामला सामने आने पर इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके अलावा एक एजेंसी को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री का आदान-प्रदान और इस्तेमाल करने वालों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह एजेंसी अपनी रिपोर्ट सीधे गृह मंत्रालय को भेजती है जहां से संबंधित राज्य को कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं।