बीजेपी में मंडल चुनाव के बाद अब जिलाध्यक्ष को लेकर गुटबाजी, 18 जिलों में अध्यक्ष के नाम को लेकर एक राय नहीं | After the Mandal elections in BJP, factionalism regarding the District President election

बीजेपी में मंडल चुनाव के बाद अब जिलाध्यक्ष को लेकर गुटबाजी, 18 जिलों में अध्यक्ष के नाम को लेकर एक राय नहीं

बीजेपी में मंडल चुनाव के बाद अब जिलाध्यक्ष को लेकर गुटबाजी, 18 जिलों में अध्यक्ष के नाम को लेकर एक राय नहीं

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 PM IST
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Published Date: November 22, 2019 3:43 am IST

रायपुर, छत्तीसगढ़। निकाय चुनाव में उतरने से पहले बीजेपी का जोर संगठन को मजबूत करने पर है। इसके लिए पार्टी पहले मंडल अध्यक्ष और अब जिलाध्यक्ष का चुनाव कर रही है। लेकिन खेमेबाजी और गुटबाजी के कारण 29 जिलों में से केवल 11 जिलों में ही अध्यक्ष का चुनाव हुआ है अभी भी राजधानी रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव समेत 18 जिलों में अध्यक्ष के नाम को लेकर एक राय नहीं बनी है। चुनाव को लेकर हो रहे खींचतान को बीजेपी जहां महज चुनावी प्रकिया बता रही। वहीं कांग्रेस को कटाक्ष करने का मौका मिल गया।

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15 साल बाद छत्तीसगढ़ की सत्ता से बाहर हुई बीजेपी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही। संगठन चुनाव को लेकर पार्टी में तनातनी जारी है। पहले मंडल चुनाव और अब जिलाध्यक्ष को लेकर खेमेबाजी और गुटबाजी इतनी बढ़ गई कि निर्धारित वक्त में 29 में से 11 जिलों में ही सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष चुने गए। इसमें भी कई नाम को लेकर आपत्ति सामने आई है। सबसे ज्यादा विवाद पूर्व विधायकों को जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर है। जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर खींचतान पर पार्टी नेताओं का तर्क है कि, कुछ जिलों में एक से ज्यादा योग्य उम्मीदवार हैं इसी वजह से नाम पर सहमति होने में विलंब हो रहा है।

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बीजेपी की कोशिश थी कि 20 नवंबर तक जिलाध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया पूरी हो जाए। राजधानी समेत 18 जिलों में नाम को लेकर समन्व बिठाने में पार्टी नाकाम रही जिस पर अब कांग्रेस भी कटाक्ष करने में पीछे नहीं है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार की बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की नाराजगी रही। ऐसे में पहले मंडल चुनाव और अब जिलाध्यक्ष को लेकर अधिकतर जिलों में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ कार्यकर्ताओँ की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। उससे ये तो तय है कि बीजेपी में फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं है।

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