नई दिल्ली। देश में चुनावी माहौल के बीच एक बार फिर किसान आंदोलन को तेजी देने की कवायद शुरू हो गई है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को धरने पर बैठे महीनों बीत चुके हैं।
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन को तेज करने की जानकारी देते हुए कहा, आंदोलन अभी आठ महीने और चलाना पड़ेगा। किसान को आंदोलन तो करना ही पड़ेगा, अगर आंदोलन नहीं होगा तो किसानों की जमीन जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान 10 मई तक अपनी गेंहू की फसल काट लेंगे, उसके बाद आंदोलन तेज़ी पकड़ेगा।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कृषि अर्थशास्त्रियों की तीन सदस्यीय समिति ने बुधवार को तीन कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दी है। समिति में भूपिंदर सिंह मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी।
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कृषि अर्थशास्त्री, दक्षिण एशिया के निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष और अनिल घणावत, अध्यक्ष, शेतकरी संगठन शामिल हैं। हालांकि भूपिंदर सिंह मान ने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।