मुख्यमंत्री की मंशानुसार गांव में 'रोका-छेका' की परंपरा बनेगी अधिक प्रभावी, गौठानों की व्यवस्था और कार्यों के लिए तय हुई खर्च की सीमा, देखिए दिशा निर्देश | According to the Chief Minister's mission, the tradition of 'Roka-Chheka' will be made more effective in the village

मुख्यमंत्री की मंशानुसार गांव में ‘रोका-छेका’ की परंपरा बनेगी अधिक प्रभावी, गौठानों की व्यवस्था और कार्यों के लिए तय हुई खर्च की सीमा, देखिए दिशा निर्देश

मुख्यमंत्री की मंशानुसार गांव में 'रोका-छेका' की परंपरा बनेगी अधिक प्रभावी, गौठानों की व्यवस्था और कार्यों के लिए तय हुई खर्च की सीमा, देखिए दिशा निर्देश

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:29 PM IST
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Published Date: June 21, 2020 11:05 am IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में प्रचलित रोका-छेका की परंपरा को और अधिक प्रभावी बनाने तथा गौठानों की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विस्तृत रोड मेप तैयार कर लिया गया है। इस रोड मेप के अनुसार गौठानों में चरणबद्ध रूप से सभी जरूरी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। गौठानों में जरूरी उपकरण और मशीनरी उपलब्ध कराने के साथ पशुओं के लिए शेड निर्माण और स्वसहायता समूहों के लिए वर्क शेड के निर्माण, चारागाह और सामूहिक बाड़ियों में फेंसिंग, भण्डारण कक्ष, पशु चिकित्सा कक्ष, बायो गैस संयंत्र की स्थापना, पानी की व्यवस्था जैसे कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए गौठान प्रबंधन समितियों को अनुदान राशि की प्रथम किश्त जारी की गयी है।

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समितियों द्वारा गौठानों में पूंजीगत कार्यो के तहत निर्माण कार्य के साथ गौठानों में विभिन्न गतिविधियों के परिचालन और रख-रखाव के कार्य निर्धारित अधिकतम व्यय सीमा के अंतर्गत कराए जाएंगे। वित्त विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में गौठानों के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्रों के गौठानों के लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को इसके लिए आबंटन जारी कर दिया गया है। गौठानों की प्रबंधन समितियों को प्रत्येक गौठान के लिए प्रथम किश्त के रूप में 40 हजार रूपए की अनुदान राशि जारी की गयी है। कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. एम. गीता द्वारा गौठानों में कराए जाने वाले पूंजीगत कार्यो, परिचालन और रख-रखाव के कार्यो तथा इन कार्यो के लिए अधिकतम व्यय सीमा से संबंधित विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

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पशुओं के शेड निर्माण पर अधिकतम 3 लाख रूपए, उपकरणों और मशीनी के क्रय पर 2 लाख रूपए, स्वसहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों के लिए 20 हजार रूपए का रिवाल्विंग फंड का प्रावधान

गौठान प्रबंधन समितियां गौठानों में अधिकतम व्यय सीमा के अनुसार पूंजीगत कार्य कराएंगी। इन कार्यो में गौठानों में पानी निकासी के लिए नाली निर्माण पर प्रति गौठान अधिकतम डेढ़ लाख रूपए, पशुओं के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कम लागत की सामग्री से शेड निर्माण पर 3 लाख रूपए प्रति गौठान, गौठानों के क्षेत्रफल के अनुसार तीन से चार चबूतरों का निर्माण कराया जा सकेगा प्रति चबूतरा अधिकतम व्यय की सीमा 75 हजार रूपए निर्धारित की गयी है। इसी प्रकार गौठानों की फेंसिंग पर 1.10 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर के मान से राशि खर्च की जा सकेगी। गौठानों तथा बाड़ियों में ट्यूब वेल एवं पम्प के लिए 1.50 लाख रूपए प्रति गौठान, स्वसहायता समूहों के लिए वर्क शेड निर्माण के लिए एक लाख रूपए प्रति स्वसहायता समूह प्रति गौठान, बायो गैस संयंत्र की स्थापना के कार्य में 2 घन मीटर के बायो गैस संयंत्र के लिए 35 हजार रूपए, 3 घन मीटर के संयंत्र के लिए 40 हजार रूपए, 4 घर मीटर के संयंत्र के लिए 45 हजार रूपए, 6 घन मीटर के संयंत्र के लिए 60 हजार रूपए तथा 35 घन मीटर के संयंत्र की स्थापना के लिए अधिकतम 8 लाख रूपए, भण्डारण कक्ष निर्माण पर अधिकतम 5 कक्ष तक, एक लाख रूपए प्रति कक्ष, पशु चिकित्सा कक्ष निर्माण के लिए 2 लाख रूपए प्रति गौठान, शेड में एक कोटना निर्माण के लिए 80 हजार रूपए प्रति गौठान, सोक पिट के निर्माण पर 50 हजार रूपए प्रति इकाई, टेंच निर्माण कार्य पर 60 हजार रूपए प्रति गौठान, चारागाह फेंसिंग पर 1.10 लाख प्रति हेक्टेयर, चारागाह में ट्यूब वेल और पम्प पर 1.50 लाख रूपए प्रति चारागाह, गौठान से लगी सामूहिक बाड़ी में चेनलिंक फेंसिंग (घेरा) पर 1.10 लाख प्रति हेक्टेयर, गौठान से लगी सामूहिक बाड़ी तथा चारागाह में भूमि समतलीकरण पर 25 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर, गौठान में पानी टंकी निर्माण पर 40 हजार रूपए प्रति गौठान, सी.पी.टी. निर्माण पर 70 हजार रूपए प्रति गौठान, सोलर पैनल लाईट पर एक लाख रूपए प्रति गौठान, गौठान में मार्ग निर्माण (मुरम) पर 1.10 लाख रूपए प्रति गौठान अधिकतम व्यय की सीमा निर्धारित की गयी है।

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गौठान प्रबंधन समितियां अनुदान राशि से गौठानों में गतिविधियों के परिचालन संबंधी विभिन्न कार्य कराएंगी। समितियां पशुओं की प्राथमिक चिकित्सा के लिए मूलभूत औषधियों पर प्रतिवर्ष अधिकतम 25 हजार रूपए, चारा उत्पादन, बुआई, रखरखाव और कटाई पर 15 हजार रूपए प्रति एकड़, चबूतरे और शेड के आस पास वृक्षारोपण पर प्रति गौठान 50 हजार रूपए खर्च की सकेंगी। वृक्षारोपण की राशि में से 6 फीट ऊंचाई के ट्री-गार्ड की व्यवस्था भी की जाएगी। सामूहिक बाड़ी में खरीफ और रबी फसल की खेती और जायद में सब्जियों की खेती पर प्रति हेक्टेयर 75 हजार रूपए तथा सामूहिक बाड़ी में नीबू और सीताफल जैसे फलदार पौधों के रोपण पर प्रति हेक्टेयर चार हजार रूपए, गौठान के ग्रामीण रोजगार केन्द्र में काम करने वाले स्वसहायता समूहों को सामग्री के उत्पादन, पैकिंग एवं विपणन के लिए 20 हजार रूपए का रिवाल्विंग फण्ड उपलब्ध कराया जाएगा। गौठानों तथा चारागाह के लिए आवश्यक उपकरण और मशीनों के क्रय पर अधिकतम 2 लाख रूपए और ग्रामीण रोजगार केन्द्र हेतु आवश्यक उपकरण तथा मशीनरी के क्रय पर प्रबंधन समितियां प्रति मशीन अधिकतम 2 लाख रूपए खर्च कर सकेंगी।

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गौठानों की बिजली और पानी के बिलों के भुगतान और आकस्मिक व्यय के लिए राशि का भी प्रावधान

गौठानों के रख रखाव के विभिन्न कार्यो के लिए भी अधिकतम व्यय की सीमा तय कर दी गयी है। समितियां गौठान, चारागाह एवं सामूहिक बाड़ी के विद्युत, पानी देयकों के भुगतान पर प्रति माह अधिकतम 15 हजार रूपए, गौठान साफ-सफाई, वर्मी कम्पोस्ट टैंक भरने एवं निकालने के कार्य, पशु नियंत्रण, चराई व्यवस्था और वृक्षो की देखभाल पर अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति माह, ठेला, तसला, बाल्टी, रापा, गैंती आदि सामग्री और उपकरणों पर प्रतिवर्ष अधिकतम 6 हजार रूपए खर्च की जा सकेगी। अनुदान राशि में से आकस्मिक व्यय हेतु प्रति माह 3 हजार रूपए अधिकतम व्यय की सीमा तय की गयी है।