महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ संयोग, शिव-पार्वती की पूजन से मिलेगा समस्त व्रतों का पुण्य, जानिए शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि | mahashivratri 2021 status mahashivratri 2021 sadhguru mahashivratri 2021 coming soon status mahashivratri 2021 status new mahashivratri 2021 song mahashivratri 2021 date mahashivratri 2021 isha founda

महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ संयोग, शिव-पार्वती की पूजन से मिलेगा समस्त व्रतों का पुण्य, जानिए शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि

महाशिवरात्रि पर बन रहा दुर्लभ संयोग, शिव-पार्वती की पूजन से मिलेगा समस्त व्रतों का पुण्य, जानिए शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 PM IST
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Published Date: March 10, 2021 10:50 am IST

नई दिल्ली। देशभर में 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। तीन संयोगों से 101 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर एक विशेष संयोग बनने जा रहा है। इस दिन भोलेनाथ के उपासक उनकी पूजा-अर्चना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। 

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शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि

11 मार्च को सुबह 9:24 तक शिव योग रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो 12 महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है और ज्योतिषविदों के मुताबिक, 101 साल बाद इस त्योहार पर एक विशेष संयोग बनने जा रहा है। मार्च सुबह 8:29 तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इसके साथ ही रात 9:45 तक घनिष्ठा नक्षत्र रहेगा।

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इस बार क्या है शुभ मुहूर्त- इस साल महाशिवरात्रि पर निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि करीब 48 मिनट तक रहेगी। पारण मुहूर्त 12 मार्च को सुबह 6 बजकर 36 मिनट से दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।

क्या करें और क्या न करें..

प्रात:काल में जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर उसके ऊपर बेलपत्र डालें। धतूरे के फूल डालें। चावल आदि डालें और फिर इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं। यदि आप शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आप उनका पूजन कर सकते हैं। शिव पुराण का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें।

महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान बताया गया है। इसके बाद शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों पहरों में से अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन का पूजन कर सकते हैं।

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ज्योतिषियों का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। इन शुभ संयोगों के बीच महाशिवरात्रि पर पूजा बेहद कल्याणकारी मानी जा रही है।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। 11 मार्च गुरुवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी मिल रही हैं। इस दिन शिव योग, सिद्धि योग और घनिष्ठ नक्षत्र का संयोग बन रहा है। महाशिवरात्रि पर ऐसी घटना 101 साल बाद होने जा रही है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था।

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भोलेनाथ के विवाह में देवी-देवताओं समेत दानव, किन्नर, गंधर्व, भूत, पिशाच भी शामिल हुए थे। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से स्नान करवाया जाता है। ज्योतिषियों का ये भी कहना है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को संसार के कल्याण के लिए शिवलिंग प्रकट हुआ था।