जयपुर, 10 मार्च (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को कहा कि विश्वविद्यालयी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो विद्यार्थियों में जिज्ञासा और सृजनात्मकता का संचार कर उन्हें नया सोचने के लिए प्रेरित करे।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विचारों की शक्ति और कल्पना की उड़ान देने वाली शिक्षा से ही राष्ट्र और समाज का भला हो सकता है।
मिश्र ने भरतपुर के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रह कर अपने आपको अपडेट रखें, तभी स्वयं के और शिक्षार्थी दोनों के ज्ञान को विकसित कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान कायम करें।
राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास, परम्परा और प्राचीन साहित्य को नये विषयों से जोड़कर मौलिक शोध की परम्परा विकसित करने की जरूरत है
इस अवसर पर लखनऊ के भारतीय प्रबंध संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. डा देवीसिंह ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ पाठ्य सामग्री का शिक्षण ही नहीं बल्कि विद्यार्थियों में अन्वेषण और प्रयोगधर्मिता की दृष्टि विकसित कर उन्हें भावी जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
भाषा कुंज पृथ्वी शफीक
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