कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की किसान संगठनों से वार्ता | Union ministers hold talks with farmers' organizations to break deadlock over agricultural laws

कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की किसान संगठनों से वार्ता

कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की किसान संगठनों से वार्ता

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 PM IST
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Published Date: January 4, 2021 11:59 am IST

नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की वार्ता सोमवार दोपहर शुरू हुई हालांकि किसान संगठनों के प्रतिनिधि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम हैं ।

सूत्रों ने बताया कि करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद दोनों पक्षों ने भोजनावकाश लिया ।

उन्होंने बताया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त नहीं करने के रूख पर कायम है और समझा जाता है कि उसने इस विषय पर विचार के लिये समिति गठित करने का सुझाव दिया है।

इसके अलावा अनाज की खरीद प्रणाली से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की किसानों की महत्वपूर्ण मांग पर भी गतिरोध कायम है ।

किसान संगठन के प्रतिनिधि अपने लिये खुद भोजन लेकर आये थे। भोजन अवकाश के दौरान ‘लंगर’ लगा। हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे ।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की।

सूत्रों ने बताया कि मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ बैठक शुरू हुई।

इससे पहले, सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी। उस दौरान पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और बिजली पर रियायत जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनी थी।

हालांकि, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसल की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लेकर कानूनी गारंटी पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पायी है।

सूत्रों ने बताया कि तोमर ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मौजूदा संकट के जल्द समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि तोमर ने सिंह के साथ संकट का समाधान निकालने के लिए ‘बीच का कोई रास्ता’ निकालने को लेकर सभी मुमकिन विकल्पों पर चर्चा की।

केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान हैं। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में भीषण ठंड के अलावा पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और प्रदर्शन स्थल पर जलजमाव के बावजूद किसान अपनी मांग पर डटे हुए हैं।

पिछले साल सितंबर में लागू कानूनों के बारे में केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और वे बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे।

सरकार ने कहा है किसानों की आशंकाएं निराधार हैं और कानूनों को निरस्त करने से इनकार किया है।

कई विपक्षी दलों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भी किसानों का समर्थन किया है, वहीं कुछ किसान संगठनों ने पिछले कुछ हफ्तों में कृषि मंत्री से मुलाकात कर तीनों कानूनों को अपना समर्थन दिया।

भाषा दीपक दीपक पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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