रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा से उनके पैतृक गांव में खुशी का माहौल | Rajinikanth announces Dadasaheb Phalke Award with joyous atmosphere in his native village

रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा से उनके पैतृक गांव में खुशी का माहौल

रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा से उनके पैतृक गांव में खुशी का माहौल

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 PM IST
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Published Date: April 1, 2021 12:09 pm IST

पुणे, एक अप्रैल (भाषा) अभिनेता रजनीकांत को प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की खबर जब यहां से 60किलोमीटर दूर उनके गांव मवाड़ी कटेपथार के लोगों को मिली तो उन्होंने कहा कि वह अभिनेता द्वारा अपने पैतृक गांव आने को लेकर किए गए वादे के निभाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। एक ग्रामीण ने कहा,‘‘ शिवाजीराव गायकवाड (अभिनेता बनने से पहले रजनीकांत का नाम) इस भूमि के पुत्र हैं, जिन्होंने फिल्मों में बड़ा मुकाम हासिल किया। कुछ वर्ष पहले जब वह लोनावाला में शूटिंग कर रहे थे तो उन्होंने हमें भरोसा दिलाया था कि वह अपने पैतृक गांव आएंगे और हमें लगता है कि वह अपना वादा निभाएंगे।’’

उन्होंने बताया कि रजनीकांत के इस पैतृक गांव में अब भी कुछ गायकवाड परिवार रहते हैं। ग्रामीण बताते हैं,‘‘ शूटिंग के दौरान हमने उनसे मिलने का प्रयास किया लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने मिलने नहीं दिया। बाद में हम उनसे मिलने के लिए होटल गए और लिफ्ट के पास उनका इंतजार किया।’’

उन्होंने कहा,‘‘हमने हिंदी में अपना परिचय दिया पर उन्होंने हमसे मराठी भाषा में बात करने को कहा। हमें यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि वह धाराप्रवाह मराठी बोलते हैं।’’ गांव के पूर्व सरपंच सदानंद जगताप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पूरे गांव को यह जानकर गर्व हुआ कि रजनीकांत को प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। गांव के अन्य लोगों ने भी इसी प्रकार की भावनाएं व्यक्त कीं।

पुणे में और इसके आस-पास के इलाके में मवाड़ी कटेपथार को ‘रजनीकांत के गांव’’ के नाम से जाना जाता है। गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि रजनीकांत के परदादा कर्नाटक के विजयपुर तहसील के एक गांव और वहां से बेंगलुरु चले गए थे और वहीं रजनीकांत का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि रजनीकांत का परिवार अन्य परिवारों की ही तरह काम की तलाश में चला गया था , हालांकि गांव में उनके पास जमीन थी।

 

 
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