नोएडा, 18 दिसम्बर (भाषा) किसान एकता संगठन द्वारा शुक्रवार को कालिंदी कुंज बॉर्डर से दिल्ली कूच किए जाने की घोषणा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान एवं उनके समर्थकों को घरों में ही नजरबंद कर दिया।
किसान एकता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान ने कल घोषणा की थी कि संगठन के पदाधिकारी कृषि कानूनों के विरोध में शुक्रवार को कालिंदी कुंज बॉर्डर से दिल्ली जायेंगे। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को सोरन प्रधान व उनके समर्थकों को घर में ही नजरबंद कर दिया।
सोरन प्रधान ने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस के बल पर किसानों के आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस की इस कार्रवाई से किसान दबने और झुकने वाले नहीं हैं और आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की मांगों को मानकर तुरंत कृषि कानूनों को वापस ले।
वहीं पुलिस उपायुक्त (जोन तृतीय) राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में धारा 144 लागू है। उन्होंने कहा कि धारा 144 का पालन कराने के लिए किसानों को उनके घरों में नजरबंद किया गया है।
वहीं भारतीय किसान यूनियन (भानु) का धरना आज 17वें दिन चिल्ला बॉर्डर पर जारी है। धरने की वजह से दिल्ली की तरफ जाने वाला रास्ता आज भी बंद रहा। हालांकि भाकियू (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर योगेश प्रताप सिंह ने बृहस्पतिवार को अपना अनशन तोड़ दिया था।
धरने पर बैठे प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि किसानों का धरना, मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा। सरकार पूरी तरह से हठधर्मिता पर अड़ी हुई है और किसानों की मांगों को अनसुना कर रही है।’’
नए कृषि कानूनों के विरोध में दलित प्रेरणा स्थल पर चल रहा भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) का धरना आज 16 वें दिन भी जारी रहा। धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि कृषि कानून वापस होने तक धरना समाप्त नहीं होगा।
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्योराज सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘केंद्र सरकार को किसानों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही है। किसान पिछले 16 दिन से कड़ाके की ठंड में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार की नींद अभी तक खुली नहीं है।’’
मास्टर श्योराज सिंह ने कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा और जब तक ये कानून वापस नहीं होते, तब तक उनका आंदोलन व धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
भाषा सं अमित मनीषा
मनीषा
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