तीन तलाक कानून के तहत आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर किसी प्रकार की रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट | No ban on granting anticipatory bail to accused under triple talaq law: court

तीन तलाक कानून के तहत आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर किसी प्रकार की रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

तीन तलाक कानून के तहत आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर किसी प्रकार की रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:37 PM IST
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Published Date: January 2, 2021 8:14 am IST

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून 2019 के तहत अपराध के आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है। न्यायालय ने हालांकि कहा कि अदालत को अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करने से पहले शिकायतकर्ता महिला का पक्ष भी सुनना होगा। गौरतलब है कि इस कानून के तहत मुस्लिमों में एक ही बार में ‘तीन तलाक’ कहकर शादी तोड़ देने की प्रथा दंडनीय अपराध के दायरे में आ गई है।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के प्रावधानों के तहत पत्नी को तीन तलाक कहकर रिश्ता तोड़ देने वाले मुस्लिम पति को तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानून की संबंधित धाराओं और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों का जिक्र किया जो व्यक्ति की गिरफ्तारी की आशंका होने पर उसे जमानत देने से जुड़े निर्देशों से संबंधित हैं।न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी पीठ का हिस्सा थीं।

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पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त कारणों से, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कानून की धारा 7(सी) तथा सीआरपीसी की धारा 438 को कायम रखते हुए इस कानून के तहत अपराध के लिए आरोपी को अग्रिम जमानत याचिका देने पर कोई रोक नहीं है, हालांकि अदालत को अग्रिम जमानत देने से पहले शिकायतकर्ता विवाहित मुस्लिम महिला की बात भी सुननी होगी।’’

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शीर्ष अदालत ने एक महिला के उत्पीड़न के मामले में आरोपी सास को अग्रिम जमानत देते हुए यह कहा। महिला ने पिछले वर्ष अगस्त में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी और आरोप लगाया था कि उसके पति ने उनके घर में उसे तीन बार तलाक बोला था। पीठ केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत ने महिला को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।

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