मूलभूत सुविधाओं समेत स्कूली शिक्षा के मामले में फिसड्डी निकला मध्यप्रदेश, नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने बोला हमला | Madhya Pradesh turns out to be a laggard in the matter of school education including basic facilities

मूलभूत सुविधाओं समेत स्कूली शिक्षा के मामले में फिसड्डी निकला मध्यप्रदेश, नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने बोला हमला

मूलभूत सुविधाओं समेत स्कूली शिक्षा के मामले में फिसड्डी निकला मध्यप्रदेश, नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने बोला हमला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : February 9, 2021/1:35 pm IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल मूलभूत सुविधाओं से लेकर शिक्षा के मामले में बिहार और झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों की तुलना में भी फिसड्डी बने हुए हैं। ख़ास बात यह है कि इस मामले में वह राष्ट्रीय औसत स्कोर 35.66 के बेहद करीब होने के बाद भी फिसड्डी साबित हुआ है। यह खुलासा नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश का नेशनल अचीवमेंट सर्वे यानी एनएएस में औसत स्कोर 35.32 रहा है। ऐसे में शिक्षा को लेकर प्रदेश सरकार के किये जा रहे दावों की हवा निकलती दिखाई दे रही है ! इन आंकड़ों को लेकर कांग्रेस ने भी राज्य सरकार पर हमला बोला है।

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मध्य प्रदेश शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकारी स्कूल की बदहाली प्रदेश के माथे पर कलंक साबित हो रही है ! नीति आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नेशनल अचीवमेंट सर्वे यानी एनएएस में मध्य प्रदेश के स्कूलों की स्थिति काफी बदत्तर है ! दरअसल देश के कई राज्यों ने देश के औसत को काफी पीछे छोड़ रखा है जिसकी वजह से इस मामले में मध्य प्रदेश को 19 वां स्थान ही मिल सका है। यह आंकड़ा एनएएस-2017 की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर नीति आयोग द्वारा जारी किया गया है। इसके लिए अंकों का निर्धारण राज्यों के सरकारी स्कूलों में मूलभूत संसाधनों, फैकल्टी, विषयवार बच्चों में सीखने की क्षमता के आधार पर किया जाता है।

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नीति आयोग द्वारा जारी किए गए विषयवार आंकड़ों को देखें तो मध्यप्रदेश को विज्ञान में आठवीं कक्षा के लिए 274 अंक मिले हैं, जबकि राजस्थान को सर्वाधिक 326 अंक मिले हैं। इसी तरह से गणित में तीसरी कक्षा में प्रदेश को 316 अंक मिले हैं, जबकि कर्नाटक 348 अंक लाकर सबसे आगे रहा है। इसी तरह से भाषा विषय में तीसरी कक्षा में मप्र को 340 अंक मिले हैं, जबकि आंध्रप्रदेश ने 364 अंक हासिल कर पहला स्थान पाया है। प्रदेश के प्राथमिक स्तर में भाषा, गणित, विज्ञान में राष्ट्रीय औसत स्कोर से 5 से 10 अंक कम हैं, यानी बच्चों में सीखने की क्षमता धीमी पायी गई है।

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इस मामले में कांग्रेस प्रदेश सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है ! प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हकीकत यह है कि –
14 हजार स्कूलों में चारदीवारी नहीं है।
18 हजार स्कूलों में एक शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
44 हजार स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है।
7 हजार स्कूलों में बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं है।
2 हजार स्कूलों में पेयजल का इंतजाम नहीं है।
1208 स्कूलों में शौचालय नहीं है। 1900 स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है।
70 हजार शिक्षकों के पद प्रदेश के स्कूलों में खाली हैं।
35 हजार शिक्षकों के स्थानांतरण से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल खाली।
6 हजार स्कूल एक या दो कमरों में चल रहे हैं।
8 हजार स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है।

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कोरोना काल के कारण हर तीन साल बाद जारी की जाने वाली एनएएस रिपोर्ट बीते साल जारी नहीं हो सकी थी, जिसे अब जारी किया गया है। यह रिपोर्ट साल 2017 की है, जिसे हाल में जारी किया गया है। इसे नीति आयोग ने इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020 के तहत तैयार किया है। इसमें दिल्ली को आय के उच्च स्तर के साथ सरकारी स्कूलों में मूलभूत संसाधनों के आधार पर सबसे ज्यादा स्कोर दिया गया है। इस रिपोर्ट में मध्य प्रदेश की स्थिति प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के सरकारी दावों की पोल खोल रही है !