नयी दिल्ली: जब दूल्हा दिल्ली में रहता हो और दुल्हन पंजाब या हरियाणा में रहती हो और अगले कुछ दिनों में शादी हो तो किसान आंदोलन के लंबे खिंचने की सूरत में दांपत्य जीवन की शुरुआत करने की तैयारी कर चुके युगलों और उनके परिवार के माथे पर शिकन आना लाजमी है क्योंकि आंदोलन की वजह से दिल्ली आने और यहां से बाहर जाने वाले वाले ज्यादातर रास्ते बंद हैं, ऐसे में सवाल है कि बारात कैसे ले जाएं।
ऐसे घरों में शादियों की तैयारियां पूरी हो चुकी है, बैंड बाजा तैयार है लेकिन परिवार इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि बारात किस रास्ते से दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे। कुछ इसी तरह की परेशानी से पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन में रहने 27 वर्षीय एक युवक जूझ रहे हैं, जिनकी छह दिसंबर को पंजाब के बठिंडा में शादी है।
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अपनी पहचान गुप्त रखते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली से बठिंडा 300 किलोमीटर दूर है, वह लंबे समय से शादी की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनकी चिंता है कि जब रास्ते ही बंद होंगे तो वह बारात लेकर जाएंगे कैसे? उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करता हूं लेकिन रास्तों का बंद होना चिंता का कारण है। दूल्हे ने कहा कि वह और उसके देस्त पिछले कुछ दिन से शादी के दिन बठिंडा जाने के रास्ते तलाश रहे हैं।
राजौरी के युवक अकेले नहीं हैं, जिन्हें शादी ठीक से संपन्न होने को लेकर चिंता सता रही है। उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी निवासी मुकेश भी ऐसे ही जद्दोजहद से गुजर रहे हैं, जिनकी शादी नौ दिसंबर को हरियाण के कुरुक्षेत्र में होनी है। उन्होंने कहा कि उनके घर से जीटी-करनाल रोड की दूरी महज 12 किलोमीटर है लेकिन किसान आंदोलन की वजह से 150 किलोमीटर दूर स्थित दुल्हन के घर बारात ले जाना मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ किसान पिछले सात दिन से सिंघू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं और अगर यह अगले हफ्ते भी जारी रहता है तो मुश्किल हो जाएगी। मेरे पिता वैकल्पिक रास्ते के लिए मेरे दोस्तों के संपर्क में हैं।’’
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