इसरो ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में दिलचस्पी दिखाई | ISRO develops three types of ventilators, shows interest in technology transfer

इसरो ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में दिलचस्पी दिखाई

इसरो ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में दिलचस्पी दिखाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : June 7, 2021/10:55 am IST

बेंगलुरू, सात जून (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए हैं और इसके क्लीनिकल उपयोग के लिए उसने उद्योग को इसकी प्रौद्योगिकी स्थानांतरित करने की पेशकश की है। इसरो की यह पेशकश ऐसे समय में आयी है जब देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है।

कम लागत में बने पोर्टेबल (जिन्हें कहीं भी सुगमता से लाया- ले जाया जा सकता है) वेंटिलेटर ‘प्राण’ (प्रोग्रामेबल रेस्पिरेटरी असिस्टेंस फॉर दी नीडी ऐड) का आधार एएमबीयू बैग (कृत्रिम तरीके से श्वसन देने संबंधी इकाई) को स्वचालित दाब में रखना है।

एजेंसी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार इस प्रणाली में अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली है जिसमें वायु दबाव संवेदक, फ्लो संवेदक, ऑक्सीजन संवेदक आदि की व्यवस्था भी है।

इसमें विशेषज्ञ वेंटिलेशन के प्रकार को चुन सकते हैं और टच स्क्रीन पैनल की मदद से मापदंड तय कर सकते हैं। इन वेंटिलेटर की मदद से ऑक्सीजन-वायु के जरूरत के हिसाब से बहाव को मनचाही गति से रोगी तक पहुंचाया जा सकता है।

बिजली गुल होने की स्थिति में इसमें अतिरिक्त बैटरी की व्यवस्था भी की गई है।

इसके अलावा इसरो ने आईसीयू दर्जे का वेंटीलेटर ‘वायु’ (वेंटीलेशन असिस्ट यूनिट) बनाया है जो श्वसन समस्या से पीड़ित रोगियों के लिए सहायक साबित होगा।

गैस चालित वेंटीलेटर ‘स्वस्त’ (स्पेस वेंटीलेटर ऐडेड सिस्टम फॉर ट्रॉमा असिस्टेंस) आपात इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है।

इन तीनों प्रकार के वेंटिलेटर के नमूने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किए गए हैं।

इसरो ने कहा कि उसका इरादा है कि तीनों वेंटिलेटर की प्रौद्योगिकी को पीएसयू/उद्योग/स्टार्ट अप आदि को स्थानांतरित किया जाए।

भाषा मानसी माधव

माधव

 

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