नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश में निर्मित फेलुदा पेपर स्ट्रिप जांच पर परामर्श जारी की है, यह सार्स-सीओवी-2 पहचान के लिए सीआरआईएसपीआर-सीएस9 तकनीक पर आधारित है।
इस जांच में सीआरआईएसपीआर-जीन इंजीनियरिंग से जुड़ी आधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया है जो सार्स-सीओवी-2 के जीन से जुड़े तत्व की पहचान एक घंटे के भीतर कर लेता है।
आईसीएमआर की ओर से जारी परामर्श में बताया गया है कि इसके उत्पादकों का दावा है कि इस जांच में अगर व्यक्ति के संक्रमित या संक्रमित नहीं होने की पुष्टि होती है तो उसके बाद आरटी-पीसीआर जांच की जरूरत नहीं है।
इसे ‘वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (सीएसआईआर) के ‘जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान’ (आईजीआईबी), दिल्ली ने तैयार किया है। इसका सत्यापन नेशनल सेंटर फॉर बायोलोजिकल साइंसेज और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने किया है। इस जांच को देश में करने की अनुमति भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने दी है।
आईसीएमआर ने एक बयान में बताया कि इस जांच में सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान की जाती है और जांच करने के लिए क्यूपीसीआर मशीन की जगह थर्मल साइक्लर का इस्तेमाल होता है। परामर्श में बताया गया है कि इस जांच के बाद संक्रमण की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर जांच की जरूरत नहीं है। सार्स-सीओवी-2 आरटी-पीसीआर जांच करने की मंजूरी जिन सरकारी या निजी प्रयोगशालाओं को मिली हुई है, वे इस नई जांच तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए अलग से मंजूरी की जरूरत नहीं है।
जांच से जुड़े सभी आंकड़े उसी समय आईसीएमआर कोविड-19 वेब पोर्टल पर अपलोड किये जाने चाहिए।
भाषा स्नेहा शाहिद
शाहिद
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