नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार देश में हाइड्रोकार्बन उत्पादन बढ़ाने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के अब तक उपयोग में नहीं लाये गये बड़े तेल एवं गैस क्षेत्रों की नीलामी करेगी।
छोटे फील्ड जिनमें तेल एवं गैस की खोज हो चुकी है, उनकी तीसरे दौर की नीलामी की शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियां संसाधनों पर अनिश्चितकाल के लिये बैठी नहीं रह सकती, जिसमें उन्होंने खोज कर ली है।
प्रधान ने कहा कि ये संसाधन वास्तव में देश की संपत्ति हैं और जिन कंपनियों की इसमें रूचि है, बोली के जरिये उन्हें सौंपकर उनमें उत्पादन शुरू किया जा सकता है।
खोजे गये छोटे फील्ड (डीएसएफ) की नीलामी के तीसरे दौर में 75 खोजों के साथ 32 तेल एवं गैस ब्लॉक की पेशकश की गयी है। इन छोटे एवं सीमांत क्षेत्रों में खोज सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) ने की है। लेकिन ये ब्लॉक मौलूदा वित्तीय व्यवस्था और उनके छोटे आकार के कारण व्यवहारिक नहीं हैं।
डीएसएफ के तहत मूल्य निर्धारण और बेचने की आजादी समेत उदार शर्तों की पेशकश कर उसे व्यवहारिक बनाया गया है।
प्रधान ने कहा, ‘‘अगली बार डीएसएफ नहीं होगा। अगली बार ‘बड़ी’ (बड़े फील्ड) नीलामी होगी।’’
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय की तकनीकी इकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय को उन बड़े फील्डों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी दी गयी है, जिसका उपयोग अब तक नहीं हुआ है। इन क्षेत्रों को बोली के लिये पेश किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘संसाधन किसी कंपनी का नहीं होता। वह देश और सरकार का होता है। वे अनिश्चितकाल के लिये कंपनी के पास पड़े नहीं रह सकते। अगर कोई उसका विकास नहीं कर सकता, हम उसके लिये दूसरे उपाय करेंगे।’’
उल्लेखनीय है कि कुछ सप्ताह पहले पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा था कि भारत की सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी रत्ना आर-सीरीज जैसे उत्पादक तेल क्षेत्रों में हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचेगी और केजी बेसिन गैस क्षेत्रों में विदेशी भागीदारों को लाएगी।
प्रधान ने कहा, ‘‘चलती का नाम गाड़ी वाला रुख काम नहीं करेगा। हमें साहसिक निर्णय करने होंगे। खासकर जिन सार्वजनिक उपक्रमों के पास निष्क्रिय और संसाधन बेकार पड़े हैं, उसे उत्पादन में लाने और बाजार पर चढ़ाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, कि एक देश के लिये जो अपनी तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है, लंबे समय तक संसाधनों का निष्क्रिय पड़े रहने को अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा मकसद उत्पादन को बढ़ाना है। इसीलिए, हम सभी विकल्पों पर गौर कर रहे हैं…।’’
डीएसएफ -तीन में जिन ब्लॉक की पेशकश की गयी है, उनमें 11 तटीय, 20 अपतटीय तथा एक ब्लॉक गहरे जल क्षेत्र में स्थित है। ये ब्लॉक 13,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं और इसमें 75 तेल एवं गैस खोज शामिल हैं। इसमें 23 करोड़ टन तेल और तेल समतुल्य गैस भंडार अनुमानित है।
भाषा
रमण महाबीर
महाबीर
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