वैश्विक नेताओं ने वैज्ञानिक नवाचार और निर्णायक कार्रवाई में भारत के नेतृत्व की सराहना की | Global leaders laud India's leadership in scientific innovation and decisive action

वैश्विक नेताओं ने वैज्ञानिक नवाचार और निर्णायक कार्रवाई में भारत के नेतृत्व की सराहना की

वैश्विक नेताओं ने वैज्ञानिक नवाचार और निर्णायक कार्रवाई में भारत के नेतृत्व की सराहना की

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:31 PM IST
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Published Date: January 5, 2021 9:25 am IST

(योशिता सिंह)

न्यूयॉर्क, पांच जनवरी (भाषा) विश्व नेताओं ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक नवाचार और निर्णायक कार्रवाई में भारत के नेतृत्व की सराहना की है।

सराहना ऐसे समय में की गई है, जब भारत कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाने को तैयार है।

गौरतलब है कि भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने रविवार को ‘सीरम इंस्टीट्यूट’ द्वारा निर्मित ‘ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय’ के टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित ‘कोवैक्सीन’ के आपात स्थिति में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी।

‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘टैग’ करते हुए ट्वीट किया, ‘‘विश्व जब वैश्विक महामारी को खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है, ऐसे में वैज्ञानिक नवाचार और टीका निर्माण क्षमता में भारत का नेतृत्व बेहतरीन है।’’

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेश्क टेड्रोस अधानोम ने भी ट्वीट किया कि भारत ‘‘लगातार निर्णायक कार्रवाई कर, कोविड-19 वैश्विक महामारी को खत्म करने के अपने संकल्प का प्रदर्शन कर रहा है।’’

टेड्रोस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘टैग’ करते हुए लिखा, ‘‘ अगर हम एकसाथ काम करें तो हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रभावी और सुरक्षित टीके का उपयोग हर जगह सबसे कमजोर लोगों को बचाने के लिए किया जाए’’

भारत में कोविड-19 के दो टीकों के आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति मिलने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान देश में शुरू होने वाला है।

मोदी ने कहा था , ‘‘भारत में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके लिए देश अपने वैज्ञानिकों एवं टेक्नीशियन के योगदान पर गर्व करता है।’’

मोदी ने राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘भारत में निर्मित’’ उत्पादों की न केवल वैश्विक मांग हो, बल्कि उनकी वैश्विक स्वीकार्यता भी हो।

भाषा निहारिका वैभव

वैभव

 

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