अपहृत के साथ अच्छा बर्ताव करने वाले अपहरणकर्ता को उम्र कैद की सजा नहीं दे सकते, कोर्ट का फैसला | Can't sentence kidnapper who treated kidnapped well to life imprisonment: Court

अपहृत के साथ अच्छा बर्ताव करने वाले अपहरणकर्ता को उम्र कैद की सजा नहीं दे सकते, कोर्ट का फैसला

अपहृत के साथ अच्छा बर्ताव करने वाले अपहरणकर्ता को उम्र कैद की सजा नहीं दे सकते, कोर्ट का फैसला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : July 1, 2021/10:45 am IST

नई दिल्ली, 1 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि अपहृत व्यक्ति के साथ अपहरणकर्ता ने मारपीट नहीं की, उसे जान से मारने की धमकी नहीं दी और उसके साथ अच्छा बर्ताव किया तो अपहरण करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा नहीं दी जा सकती है।

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न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा अपहरण के एक मामले में आरोपी एक ऑटो चालक को दोषी ठहराने का फैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। ऑटो चालक ने एक नाबालिग का अपहरण किया था और उसके पिता से दो लाख रूपये की फिरौती मांगी थी।

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न्यायालय ने कहा कि धारा 364ए (अपहरण एवं फिरौती) के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा तीन बातों को साबित करना आवश्यक है। उसने कहा कि ये तीन बातें हैं- किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे बंधक बनाकर रखना, अपहृत को जान से मारने की धमकी देना या मारपीट करना, अपहरणकर्ता द्वारा ऐसा कुछ करना जिससे ये आशंका बलवती होती हो कि सरकार, किसी अन्य देश, किसी सरकारी संगठन पर दबाव बनाने या किसी अन्य व्यक्ति पर फिरौती के लिए दबाव डालने के लिए पीड़ित को नुकसान पहुंचाया जा सकता है या मारा जा सकता है।

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धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘‘पहली स्थिति के अलावा दूसरी या तीसरी स्थिति भी साबित करनी होगी अन्यथा इस धारा के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।’’ शीर्ष अदालत तेलंगाना निवासी शेख अहमद की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अहमद की याचिका खारिज कर दी थी और उसे भादंसं की धारा 364ए के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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ऑटो चालक अहमद ने सेंट मैरी हाईस्कूल के छठी कक्षा के छात्र को उसके घर छोड़ने के बहाने अगवा कर लिया था। बच्चे का पिता फिरौती देने गया था उसी समय पुलिस ने बच्चे को छुड़ा लिया था। यह घटना 2011 की है और तब पीड़ित की उम्र 13 वर्ष थी। पीड़ित के पिता ने निचली अदालत को बताया था कि अपहरणकर्ता ने लड़के को कभी भी नुकसान पहुंचाने या जान से मारने की धमकी नहीं दी थी।

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शीर्ष अदालत ने अहमद को धारा 364ए के तहत दोषी ठहराने का फैसला रद्द कर दिया। उसने कहा, ‘‘अपहरण का अपराध साबित हुआ है और अपीलकर्ता को धारा 363 (अपहरण का दंड) के तहत सजा दी जानी चाहिए, जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।’’ न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता को सात साल के कारावास और पांच हजार रूपये के जुर्माने की सजा दी जानी चाहिए।