यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा : एनजीटी की समिति ने प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान करने को कहा | Ammonia levels rise in Yamuna: NGT committee seeks to identify major sources of pollution

यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा : एनजीटी की समिति ने प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान करने को कहा

यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा : एनजीटी की समिति ने प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान करने को कहा

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:56 PM IST
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Published Date: January 5, 2021 11:25 am IST

नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त यमुना निगरानी समिति ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण के ‘मुख्य स्रोतों’ की पहचान करने को कहा है जिनके कारण दिल्ली में नदी में अमोनिया के स्तर में वृद्धि हुयी है। समिति ने 10 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

समिति का यह निर्देश ऐसे वक्त आया है, जब दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने आरोप लगाया है कि बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद हरियाणा ने उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी का बहाव रोकने के लिए कदम नहीं उठाया है और सीपीसीबी से तुरंत समाधान के लिए उपाय करने का आग्रह किया है।

समिति ने मीडिया की एक खबर का उल्लेख करते हुए कहा कि वजीराबाद में यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़कर सात पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) हो गया जबकि मान्य सीमा 0.8 पीपीएम है।

समिति में दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा और एनजीटी के सेवानिविृत्त विशेषज्ञ सदस्य बी एस सजवान शामिल हैं। समिति ने कहा, ‘‘खबर में कहा गया है कि मुख्य रूप से रोहतक रेगुलेटर के जरिए नाला संख्या छह और आठ से यमुना नदी में उद्योगों का गंदा पानी आने के कारण यह स्तर बढ़ा है।’’

समिति ने कहा कि हर साल दिसंबर-फरवरी के दौरान सर्दी के महीनों में अमोनिया के स्तर में बढोतरी होती है। ऐसे में सीपीसीबी और एचएसपीसीबी सर्दी के महीनों के दौरान निगरानी तंत्र को मजबूत बनाएं और उद्योगों की गतिविधियों की निगरानी करें। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कि लिए भी कदम उठाए जाएं।

समिति ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के साथ मिलकर यमुना में अमोनिया के उच्च स्तर के लिए प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान करने और 10 जनवरी तक एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

यमुना निगरानी समिति ने हरियाणा के मुख्य सचिव के समक्ष भी यह मामला उठाया है और उनसे अनुपचारित गंदा पानी का यमुना नदी में बहाव रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने के वास्ते अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया है।

दिल्ली जल बोर्ड ने हाल में कहा था कि हरियाणा सरकार के ‘‘लापरवाह’’ रवैये के खिलाफ वह अदालत जाने पर विचार कर रहा है क्योंकि उसने यमुना में गंदे पानी का बहाव रोकने के लिए कदम नहीं उठाया और इससे राष्ट्रीय राजधानी में आपूर्ति किए जाने वाले पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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