नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारी जहां एक ओर सातवां वेतनमान के तहत न्यूनतम वेतनमान और फिटमेंट फैक्टर में ढ़ेातरी की आस लगाए बैठें हैं चहीं, दूसरी ओर मोदी सरकार कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए नया फार्मूला लागू करने की तैयारी कर रही है। खबर है कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वार्षिक मूल्यांकन के लिए प्रदर्शन मैट्रिक्स फार्मूले का इस्तेामल करने का फैसला लिया है।
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बताया जा रहा है कि इस मूल्यांकन प्रणाली के तहत, कर्मचारियों को उनके गैर-प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और आवश्यकता से कम पड़ने पर उनके अप्रेजल पर इसका असर पड़ सकता है। इस प्रणाली के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों का विभागवार गैर-प्रदर्शनकारियों की एक सूची तैयार किया जाएगा। इस सूची के आधार पर ही सरकार कर्मचारियों के प्रदर्शन का आंकलन कर उनका अप्रेजल तय करेगी।
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मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार के इस फार्मूले के ऐसे अधिकारी और कर्मचारी आएंगे, जो 50 साल या उससे अधिक उम्र के हैं और उन कर्मचारियों ने 30 साल की सेवा पूरी कर ली है। सरकार अंत में ये तय करेगी कि उन कर्मचारियों को जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए या अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त दिया जाना चाहिए।
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खबर यह भी है कि सरकार ने रिटायर्ड कर्मचारियों को लेटरल एंट्री सिस्टम से बदलने का फैसला लिया है। प्रदर्शन मूल्यांकन की प्रणाली का मुख्य ध्यान कर्मचारियेां के प्रदर्शन और अखंडता या इसके अभाव के आधार पर उनकी सेवानिवृत्ति पर एक कॉल लेने के लिए होगा।
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