नई दिल्ली। हिरोशिमा पर परमाणु हमले के 74 बरस हो गए है। आज ही के दिन 6 अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिकी वायु सेना ने परमाणु बम गिराया था। इसका नाम लिटिल बॉय रखा गया था। बम 20 हज़ार टन की क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था। हिरोशिमा जापानी सेना को रसद की आपूर्ति करने वाले कई केंद्रों में से एक है।इस बम धमाके से हिरोशिमा में 20,000 से अधिक सैनिक मारे गए, लगभग डेढ़ लाख सामान्य नागरिक मारे गए।
सुबह आठ बज कर 16 मिनट पर ज़मीन से 600 मीटर ऊपर बम फूटा और 43 सेकंड के भीतर शहर के केंद्रीय हिस्से का 80 फीसदी नेस्तनाबूद हो गया। 10 लाख सेल्शियस तापमान वाला आग का एक गोला तेज़ी से फैला, जिसने 10 किलोमीटर के दायरे में आई हर चीज को राख कर दिया। शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए। 70,000 से 80,000 लोग तुरंत मर गए।
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अमेरिका ने साल 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराकर एक ही क्षण में शमशान में बदल दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा शहर पर 6 अगस्त 1945 को सवा आठ बजे अमेरिका ने परमाणु बम गिराया। इस बम का नाम लिटिल ब्वॉय था। इस हमले में करीब 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। शहर के 30 फीसदी लोगों की मौत तत्काल हो गई थी। वहीं, परमाणु विकिरण के कारण हजारों लोग सालों बाद भी अपनी जान गंवाते रहे।
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हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के कारण 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही फैल गई थी। शहर की 60 प्रतिशत से भी अधिक इमारतें नष्ट हो गईं थीं। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी। बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हज़ार की आबादी में से 1 लाख 40 हज़ार लोग इसमें मारे गए थे। इनमें सैनिक और वह लोग भी शामिल थे जो बाद में परमाणु विकिरण की वजह से मारे गए, बहुत से लोग लंबी बीमारी और अपंगता के भी शिकार हुए। यह बम स्थानीय समयानुसार 8.15 बजे “इनोला गे” कहे जाने वाले एक अमेरिकी विमान बी-29 सुपरफोर्ट्रेस से गिराया गया।
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1939 के सोवियत-जापानी सीमा-संघर्ष के बाद 13 अप्रैल, 1941 को दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों तक एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करने की संधि की थी लेकिन दो महीने बाद ही जब सोवियत संघ जर्मन आक्रमण का शिकार बना तो उसे हिटलर-विरोधी मित्र राष्ट्रों के गुट में शामिल होना पड़ा। इस दौरान उसने मित्र देशों को यह आश्वासन दिया कि ज़रूरत पड़ने पर वह सुदूरपूर्व में जर्मनी के साथी जापान के विरुद्ध मोर्चा खोलने से नहीं हिचकेगा। यह दुविधा जापान के साथ भी थी कि वह एक ऐसे देश के साथ अनाक्रमण संधि कैसे निभाए जो उसके परम मित्र जर्मनी के साथ युद्ध में है। सोवियत संघ ने 5 अप्रैल, 1945 को जापान के साथ अनाक्रमण संधि से अपना हाथ खींच लिया। पोट्सडाम शिखर सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद सोवियत संघ ने 8 अगस्त, 1945 को जापान अधिकृत मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया।
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25 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने फिलिप्पीन सागर में स्थित तिनियान द्वीप पर तैनात अमेरिका की प्रशांत महासागरीय वायुसेना के मुख्य कमांडर को पोट्सडाम से ही आदेश दिया कि तीन अगस्त तक इस विशेष बम के इस्तेमाल की तैयारी कर ली जाए। जिस विशेष बम ‘लिटिल बॉय’ को 3 अगस्त को गिराने की बात ट्रूमैन कर रहे थे वह यूरेनियम बम था। लेकिन इसके साथ ही एक दूसरा बम ‘फैट मैन’भी तैयार हो रहा था। यह प्लूटोनियम बम था जिसे ‘ट्रिनिटी’परीक्षण के दो सप्ताह बाद तैयार कर लिया गया था। इसका पूर्ण परीक्षण अभी बाकी था। यह जानने के लिए कि दोनों में से कौन कितना खतरनाक और संहारक है। दोनों प्रकार के बम जापान के दो शहरों में गिराए जाने थे। इसके लिए जापान के चार शहरों की सूची तैयार की गई इसमें हिरोशिमा के अलावा कोकूरा, क्योतो और निईगाता के नाम शामिल थे। नागासाकी अमेरिका के निशाने पर नहीं था। लेकिन अमेरिका के तत्कालीन युद्धमंत्री स्टिम्सन के कहने पर जापान की पुरानी राजधानी क्योतो का नाम संभावित शहरों की सूची से हटा कर उसकी जगह नागासाकी का नाम शामिल कर लिया गया।
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