नई दिल्ली: बैकिंग फ्रॉड रोकने के लिए पिछले कुछ सालों से आरबीआई कई हथकंडे अपना रही है, लेकिन धोखाधड़ी करने वाले बेखौफ होकर बैंकों को चूना लगाने में लगे हुए हैं। ये बात हम यूं ही नहीं कर रहे हैं, आरबीआई ने खुद ये आंकड़े जारी किए हैं। जारी आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में बैंकों से जुड़ी धोखाधड़ी के मामलों में 73 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक धोखाधड़ी के 6,800 मामले सामने आए। इनमें रिकॉर्ड 71,500 करोड़ के फ्रॉड हुए।
इस पूरी बात को साल दर साल आंकड़ों से समझते हैं, देखें आंकड़े
वित्त वर्ष | धोखाधड़ी के मामले | राशि (रुपए करोड़) |
2008-09 | 4,372 | 1,860.09 |
2009-10 | 4,669 | 1,998.94 |
2010-11 | 4,534 | 3,815.76 |
2011-12 | 4,093 | 4,501.15 |
2012-13 | 4,235 | 8,590.86 |
2013-14 | 4,306 | 10,170.81 |
2014-15 | 4,639 | 19,455.07 |
2015-16 | 4,693 | 18,698.82 |
2016-17 | 4,693 | 23,933.85 |
2017-18 | 5,916 | 41,167.03 |
2018-19 | 6,800 | 71,500 |
धोखाधड़ी के आंकड़े जारी करते हुए आरबीआई ने कहा है कि इन मामलों में बैकों को अपराध दर्ज करवाना होता है, लेकिन बैंकों से यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि कितने मामलों में कार्रवाई की गई या की जा रही है।
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ये आंकड़े इसलिए भी अहम हैं क्योंकि बैंक नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे फ्रॉड के बड़े मामलों से जूझ रहे हैं। धोखाधड़ी के बड़े मामलों को देखते हुए सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) ने विश्लेषण कर 100 बड़े मामलों की रिपोर्ट पिछले साल पेश की थी। सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर और मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत बनाने की सलाह दी थी।
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