रायपुर। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत सरगुजा एवं बस्तर संभाग के समस्त जिलों में अभियान की शुरुआत की गई है। अभियान के अंतर्गत बस्तर एवं सरगुजा संभाग के 2299 ग्राम के 15 लाख 54 हजार से अधिक लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी। प्रत्येक ग्राम में स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिन घर-घर जाकर मलेरिया की जांच करेंगे।
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30 जनवरी 2021 तक चलने वाले इस अभियान में दोनों संभाग के 3 लाख 33 हज़ार 900 सौ से अधिक घरों तक स्वास्थ्य विभाग अपनी पहुंच बनाएगा। जांच के दौरान मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों का तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। पूर्ण इलाज सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों को पहली खुराक अपने सामने ही खिलाएंगे। स्थानीय मितानिन पीड़ितों के फॉलो-अप खुराक सेवन की निगरानी स्वयं करेगी। पीड़ितों द्वारा दवा की पूर्ण खुराक लिए जाने के बाद खाली रैपर भी संग्रहित किये जाएंगे। मलेरिया जांच वाले घरों पर स्टीकर चिपकाया जाएगा। इन स्टीकर पर दवा के ख़ुराक की जानकारी का भी उल्लेख रहेगा। साथ ही जाँच किए व्यक्ति के बाएं पैर के अंगूठे में नेल मार्किंग किया जाएगा।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ की मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी यह कार्यक्रम बस्तर संभाग में यथावत रूप से क्रियान्वित किया गया था। विशेष रूप से बस्तर में इस अभियान के दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरा चरण अभी चल रहा है। उन्होंने बताया कि 15 दिसंबर 2020 से मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की शुरुआत कर दी गई है, विशेष रुप से मलेरिया मुक्त अभियान के इस चरण में 15 लाख 54 हजार से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई जाएगी । अभियान के क्रियान्वयन में सरगुजा संभाग में 75 पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) 170 एसएचसी (उप स्वास्थ्य केंद्र) से 391 ग्रामों को कवर किया जाएगा ।
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जिसमें से 90,800 से अधिक घरों तक पहुंच होगी वहीँ बस्तर संभाग में 103 पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) 527 एसएचसी (उप स्वास्थ्य केंद्र) से 1908 ग्रामों को कवर किया जाएगा । जिसमें से 2 लाख 43 हज़ार से अधिक घरों तक पहुंच होगी । इस अभियान में कुल 259 सेक्टर सुपरवाइजर, 2173 सर्वे टीम, एवं सर्वे टीम में 7212 सदस्यों को लगाया गया है । प्रत्येक टीम में ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला, पुरुष एवं सम्बंधित ग्राम की मितानिन रहेगी |
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मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही परजीवी यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का परजीवी परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। परजीवी की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर भी हो सकती है ।