रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में पिछले दो सालों में 103 एमओयू हुए हैं। इनके माध्यम से प्रदेश में 42 हजार 155 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे प्रदेश के युवाओं के लिए 62 हजार से अधिक रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। छत्तीसगढ़ की नयी उद्योग नीति और कोरोना-काल में उद्योगों के हित में शासन द्वारा उठाए गए कदमों से राज्य में बेहतर औद्योगिक वातावरण का निर्माण हुआ है। कोरोना-संकट काल में पूरा देश आर्थिक मंदी से प्रभावित था, वहीं छत्तीसगढ़ में उद्योग जगत मंदी से अछूता रहा।
लॉकडाउन के दौरान देश में सबसे पहले माह अप्रैल में छत्तीसगढ़ के उद्योगों में काम प्रारंभ हुआ। उद्योगों की कठिनाइयों को देखते हुए ही कई तरह की रियायतें और सुविधाएं दी गईं। कोर सेक्टर के उद्योगों को विद्युत शुल्क में छूट दी गई। कच्चे माल की आवक बनी रहे, और तैयार माल बाजार तक पहुंचता रहे, इसके लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए। दूसरे राज्यों से कच्चा माल आसानी से छत्तीसगढ़ आ सके, इसके लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए।
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स्टील और सीमेंट उद्योग की गतिविधियां चलती रहें, इसके लिए सड़क और भवन निर्माण का काम जारी रखा गया। बिजली की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। नियम शर्तों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया। राइस मिलों को ऊर्जा प्रभार में पांच प्रतिशत की छूट दी गई। उद्योगों को बिजली बिलों के भुगतान की अवधि में भी छूट दी गई। लॉकडाउन की अवधि में छत्तीसगढ़ में 27 लाख टन इस्पात का उत्पादन हुआ, जो दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा था। प्रदेश में नयी औद्योगिक नीति का निर्माण किया गया है। यह नयी नीति यहां के उद्योग धंधों के लिए संभावनाओं के नये दरवाजे तो खोल रही है साथ ही एग्रीकल्चर सेक्टर को भी मजबूत प्रदान कर रही है।
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राज्य सरकार की नयी उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी गई है। खनिज आधारित उद्योगों को हर तरह का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नई औद्योगिक नीति के तहत अब इस्पात (स्पंज आयरन एण्ड स्टील) क्षेत्र के मेगा अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश हेतु विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज की व्यवस्था की गई है। मेगा निवेशकों के लिए इस पैकेज में अधिकतम 500 करोड़ रुपए तक निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
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बस्तर संभाग के लिए 1000 करोड़ का निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है। निवेशकों को सिर्फ छूट और सुविधा ही नहीं दी जा रही, बल्कि इस बात का भी खयाल रखा गया है कि वे प्रदेश में आसानी के साथ उद्योग स्थापित कर सकें। इसके लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन के लिए भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। भू-भाटक में एक प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में 10 एकड़ तक आवंटित भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए नियम बनाए गए हैं। औद्योगिक भूमि और भवन प्रबंधन नियमों का सरलीकरण किया गया है।