छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 101 करोड़ का घोटाला, एक पत्र से मचा सियासी बवाल, पूर्व अध्यक्ष देवजी भाई पटेल ने उठाया सवाल | 101 crore scam in Chhattisgarh Text Book Corporation, a letter created political ruckus

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 101 करोड़ का घोटाला, एक पत्र से मचा सियासी बवाल, पूर्व अध्यक्ष देवजी भाई पटेल ने उठाया सवाल

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में 101 करोड़ का घोटाला, एक पत्र से मचा सियासी बवाल, पूर्व अध्यक्ष देवजी भाई पटेल ने उठाया सवाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : March 11, 2021/6:02 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में एक सौ एक करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। हालांकि, मामला एक दशक से भी पुराना है, लेकिन फाइलों में दफन हो चुके इस मामले को छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा विभाग के एक पत्र ने फिर से ऊपर ला दिया है। अब इस पर पाट्यपुस्तक निगम के मौजूदा अध्यक्ष ने पूर्ववर्ती कार्यकाल पर हमला बोल दिया है।

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छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा की ओर से पाठ्यपुस्तक निगम को लिखे इस पत्र ने भ्रष्टाचार के पुराने मामले को फिर से बाहर ला दिया है। और इसी के साथ मौजूदा एवं पूर्ववर्ती अध्यक्ष के बीच राजनीतिक जंग भी छिड़ गई है। दरअसल, 2008-09 के लोकल फंड ऑडिट में पाठ्यपुस्तक निगम में 100 करोड़ से ऊपर की वित्तीय अनियमितता सामने आई।

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ये अनियमितता 2004 से 2010 के बीच की थी। 25 जुलाई 2017 को इन तमाम अनियमितताओं पर पाठ्यपुस्तक निगम से स्पष्टीकरण मांगा गया और 4 महीनों के भीतर जवाब देने को कहा गया, लेकिन निगम के अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया। इस मामले के चार साल बाद फिर से छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा की ओर से पाठ्यपुस्तक निगम को पत्र लिख कर 101 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय अनियमितता पर जवाब देने को कहा गया है। चुंकि मामला 2017 के कार्यकाल से जुड़ा है, लिहाजा मौजूदा अध्यक्ष पुराने कार्यकाल को लेकर हमलावर हो गए हैं।

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इस हमले पर तत्कालीन अध्यक्ष देवजी भाई पटेल ने भी पलटवार कर दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि 2008-09 की वित्तीय अनियमितता पर 2017 में स्पष्टीकरण क्यों मांगा गया। इसके लिए ऑडिट अधिकारियों से भी सवाल होने चाहिए।

बहरहाल, इस आरोप प्रत्यारोप से इतना तो साफ हो गया है कि पाठ्यपुस्तक निगम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए हैं। अब देखना होगा कि भ्रष्टाचार की तमाम पुरानी फाइलें खुलती हैं और भ्रष्टाचारियों को कोई सजा भी मिलती है, या फिर पूरा मामला राजनीतिक जंग में दबकर रह जाता है।