Maa Nikumbala Mandir

Maa Nikumbala Mandir: आशीर्वाद देते नहीं बल्कि हाथ जोड़े हुए है इस माता की मूर्ति, रावण और मेघनाथ से जुड़ा है इतिहास

Maa Nikumbala Mandir: आशीर्वाद देते नहीं बल्कि हाथ जोड़े हुए है इस माता की मूर्ति, रावण और मेघनाथ से जुड़ा है इतिहास

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Modified Date: October 10, 2024 / 06:42 PM IST
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Published Date: October 10, 2024 6:38 pm IST

Maa Nikumbala Mandir: छिंदवाड़ा। जिला मुख्यालय से 28 किमी उमरेठ गांव में मां निकुंबला देवी का मंदिर है। नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। बता दें कि निकंबुला मां रावण की कुलदेवी हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर की कहानी और इतिहास..

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दरअसल, उमरेठ के नेहरू चौक में रावण की कुलदेवी मां निकुम्बला मां का प्राचीन मंदिर है। लक्ष्मी प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि, प्राचीन काल से इस स्थान पर यह मूर्ति विराजित थी। लोग पूजा पाठ करते थे, लेकिन लोगों को मां का नाम नहीं पता था। बड़ी संख्या में आदिवासी सहित अन्य समाज के लोग यहां माता के दर्शन के लिए आते थे। 3 दशक पहले ग्रामीणों ने माता का मंदिर निर्माण करने का सोचा और ब्रम्हलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के पास झोंतेश्वेर आश्रम गए।

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शंकराचार्य ने मूर्ति का फोटो देखकर कहा कि, इस प्रतिमा के आसपास कुछ और भी है क्या? इस पर ग्रामीणों ने बताया कि, इनके बगल में खंडेरा बाबा का चबूतरा बना हुआ है। हाथ जोड़ी हुई मूर्ति देखकर शंकराचार्य ने ग्रामीणों को बताया कि यह रावण की कुलदेवी और मेघनाथ की इष्ट देवी मां निकुंबला की प्रतिमा है। इसके बाद गांव के सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर प्रतिमा के गर्भ गृह से बिना छेड़छाड़ किए हुए आसपास मंदिर का निर्माण कराया। इसके बाद देवी की प्रतिमा मां निकुंबला के रूप में पहचानी जाने लगी।

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गांव के सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर प्रतिमा के आसपास मंदिर का निर्माण करवाया। मां निकुंभला की प्रतिमा लगभग ढाई तीन फीट की है। इस मूर्ति को देखकर लगता है कि, यह प्रतिमा बहुत प्राचीन है। मूर्ति की सबसे खास बात है कि, इसमें मां आशीर्वाद देते हुए नहीं बल्कि दोनों हाथ जोड़े हुए है। मूर्ति के बाजू में तलवार रखी हुई है। नवरात्र में मां के दर्शन के लिए कई भक्त मंदिर पहुंचे हैं।

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बता दें, छिंदवाड़ा जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है। जिले का उमरेठ आदिवासी समाज की आस्था का केंद्र है। उमरेठ में मां निकुंबला से लगा हुआ खंडेरा बाबा का स्थान है। यहां होली के अवसर पर भव्य रूप में मेघनाथ पूजा की जाती है।आसपास के दर्जनों गांव के आदिवासी समाज सहित अन्य समाज के लोग यहां मन्नत पूरी होने पर पहुंचते है।

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