मुंबई, 10 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने यस बैंक से संबंधित कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में डीएचएफएल के पूर्व निदेशक कपिल वधावन को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी।
अदालत ने सुनवाई में देरी का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार और समाज के हित के बीच’’ संतुलन की आवश्यकता है।
विशेष न्यायाधीश ए सी डग्गा ने अपने आदेश में कहा कि आर्थिक अपराधों का समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन आरोपियों को ‘‘मुकदमा शुरू होने की किसी उम्मीद के बिना वर्षों तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।’’
अदालत ने कहा कि किसी अपराध के लिए दोषी करार दिये जाने से पहले लंबे समय तक कारावास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह संविधान में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के विरूद्ध होगा।
वधावन को धोखाधड़ी के मामले में 26 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। हालांकि, उनके जेल से बाहर आने की संभावना नहीं है क्योंकि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व निदेशक को उनके खिलाफ लंबित एक अन्य मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है।
सीबीआई ने दावा किया है कि यस बैंक ने डीएचएफएल में 3,983 करोड़ रुपये का निवेश किया था (हाउसिंग फाइनेंस फर्म द्वारा जारी किए गए डिबेंचर की सदस्यता के माध्यम से)।
केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, बाद में बैंक ने अपने सह-संस्थापक राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों की कंपनियों को भुगतान करने के लिए 600 करोड़ रुपये की रिश्वत के बदले डीएचएफएल को ऋण दिया था।
इस धोखाधड़ी के अलावा, कपिल वधावन पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अन्य मामले भी दर्ज किये गए हैं।
भाषा सुभाष माधव
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