मुंबई, नौ जनवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस बात पर हैरानी जताई कि क्या शहर में वायु प्रदूषण का कोई हल निकलेगा या फिर हर वर्ष दिवाली के बाद नागरिकों को धुएं का सामना करना पड़ेगा।
अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि बेकरियों को लकड़ी व कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। इसने कहा कि सीएनजी व इलेक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल पर जोर दिया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा हालांकि सभी अधिकारी मुंबई के बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के पीछे की समस्याओं और कारणों से मोटे तौर पर अवगत हैं लेकिन समाधान व उठाए जाने वाले कदम को तुरंत अमल में लाये जाने की जरूरत है।
पीठ ने 2023 में शहर और राज्य में खराब वायु गुणवत्ता पर स्वतः संज्ञान लिया था।
अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा, “हर वर्ष दिवाली के बाद स्थिति एक जैसी होती है। ऐसी स्थितियों में समाधान क्या है? यह सब हर वर्ष दिवाली के बाद शुरू होता है। मोटे तौर पर हम समस्याओं और कारणों को जानते हैं… तो अब समाधान क्या है? क्या हम हर वर्ष पूरे मुंबई में यह धुआं देखते रहेंगे? कुछ दिन तो दृश्यता बहुत कम होती है।’’
पीठ ने कहा कि 2023 में अदालत ने दिवाली के त्यौहार पर प्रतिदिन केवल कुछ घंटों के लिए पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी लेकिन निर्देश का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया।
अदालत ने कहा, “हमने देखा कि हमारे आदेशों के बावजूद लोग देर रात एक बजे तक पटाखे फोड़ते रहे। कार्यान्वयन एजेंसियों ने हमारे आदेशों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया।”
अदालत ने कहा कि यह देखकर दुख हुआ कि अधिकारियों द्वारा कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया गया।
पीठ ने कहा, “जब अदालत आदेश पारित करती है तभी कुछ किया जाता है। हर कोई प्रभावित होता है। आपको (अधिकारियों को) स्पष्ट रूप से अधिक कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदूषण का स्तर कब कम होगा? जब तक कुछ कठोर कदम नहीं उठाए जाते, तब तक स्थिति नियंत्रण में नहीं आएगी।”
भाषा जितेंद्र शफीक
शफीक
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