(कुणाल दत्त और संदीप कोल्हटकर)
(फोटो के साथ)
पुणे (महाराष्ट्र), 15 जनवरी (भाषा) सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर स्थिति स्थिर लेकिन संवेदनशील बनी हुई है। उन्होंने कहा कि ‘‘गलवान में जो कुछ भी हुआ, उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए’’।
उन्होंने कहा कि उनकी सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम है।
यहां 77वें सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि उत्तरी सीमा पर आधुनिक उपकरण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उन्होंने यहां 77वें सेना दिवस समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि गलवान में जो कुछ हुआ, उसकी पुनरावृत्ति नहीं हो।’’
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘चाहे कूटनीतिक प्रयास हो या सैन्य प्रयास या यहां तक कि गृह मंत्रालय, सीएपीएफ (केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल) प्रयास के संदर्भ में हम सभी को इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में हमारे सामने अचानक इस तरह की स्थिति नहीं आए।’’
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।
उत्तरी सीमा पर स्थिति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरी सीमाएं सुरक्षित हैं, क्योंकि भारतीय सेना वहां आवश्यक तैनाती के साथ मौजूद है।’’
हाल में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की गश्त एवं विवादित स्थान से पीछे हटने को लेकर एक समझौता हुआ, जो चार साल से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।
यह कदम पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है, क्योंकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
इस झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संबंधों में गिरावट आई।
यहां सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम कायम है, लेकिन ‘‘घुसपैठ के प्रयास जारी हैं’’।
जम्मू कश्मीर के आंतरिक क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप वहां हिंसा में कमी आई है।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘हम भारतीय सेना को एक आधुनिक, चुस्त, हर परिस्थिति के लिए अनुकूल, प्रौद्योगिकी-सक्षम बल बनाने की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।’’
परेड में सेना के कुछ अत्याधुनिक करतबों का प्रदर्शन, तीन सुखोई-30 विमानों द्वारा ‘फ्लाई-पास्ट’ तथा कई पैदल टुकड़ियां शामिल थीं।
राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की एक बालिका टुकड़ी तथा कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस (सीएमपी) सेंटर एंड स्कूल की एक महिला अग्निवीर टुकड़ी तथा 12 ‘मार्चिंग रोबोटिक खच्चरों’ ने पहली बार सेना दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सेना प्रमुख ने कहा कि पुणे में आयोजित 77वीं सेना दिवस परेड का विशेष महत्व है क्योंकि पुणे मराठा शासन के समय से ही शौर्य एवं वीरता का स्थान रहा है।
उन्होंने कहा कि पुणे में सेना दिवस समारोह, इस क्षेत्र की विरासत के साथ हमारे गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
पुणे में पहली बार समारोह का आयोजन हुआ। सेना दिवस परेड (एडीपी) यहां बॉम्बे इंजीनियर्स ग्रुप (बीईजी) एंड सेंटर में हुई जो सेना की दक्षिणी कमान के अंतर्गत आता है।
भाषा सुरभि वैभव
वैभव
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