मुंबई, 29 मार्च (भाषा) राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने शनिवार को कहा कि राज्य में उसके कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-मराठी भाषियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं जानबूझकर नहीं की गईं।
मनसे उपाध्यक्ष और प्रवक्ता वागीश सारस्वत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उनकी पार्टी को बिहार या कर्नाटक से आने वाले लोगों के महाराष्ट्र में रहने और काम करने से कोई समस्या नहीं है, बशर्ते वे स्थानीय भाषा का सम्मान करें।
उन्होंने कहा, ‘‘मराठी मुंबई और महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों की भाषा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। लेकिन कुछ लोग जानबूझकर भाषा का अनादर और अपमान करते हैं। ऐसे तत्वों को सबक सिखाने के दौरान हिंसा होती है। लेकिन यह जानबूझकर नहीं होता। मराठी को उचित सम्मान दें और हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है कि संबंधित लोग बिहार से हैं या कर्नाटक से।’’
सारस्वत लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सांसद राजेश वर्मा के बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। वर्मा ने कहा था कि वह महाराष्ट्र में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदी भाषियों पर हमलों का मुद्दा लोकसभा में उठाएंगे।
वर्मा ने आरोप लगाया था कि मनसे हिंदी भाषियों को निशाना बनाकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी लोग भी महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं।
उन्होंने कहा कि मनसे भीड़ के रूप में निहत्थे लोगों पर हमला कर रही है, क्योंकि वे मराठी भाषा नहीं बोल सकते।
वर्मा ने कहा था, ‘‘हिंदी भाषी कड़ी मेहनत करते हैं। वे सम्मान के हकदार हैं, अपमान और हिंसा के नहीं।’’
भाषा
शुभम धीरज
धीरज