टोरेस घोटाला: पुलिस की सुस्ती पर अदालत हैरान, 'व्हिसलब्लोअर' को सुरक्षा देने का आदेश दिया |

टोरेस घोटाला: पुलिस की सुस्ती पर अदालत हैरान, ‘व्हिसलब्लोअर’ को सुरक्षा देने का आदेश दिया

टोरेस घोटाला: पुलिस की सुस्ती पर अदालत हैरान, 'व्हिसलब्लोअर' को सुरक्षा देने का आदेश दिया

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Modified Date: January 15, 2025 / 06:56 PM IST
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Published Date: January 15, 2025 6:56 pm IST

मुंबई, 15 जनवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को टोरेस निवेश घोटाले की जांच मंद गति से करने के लिए मुंबई पुलिस को आड़े हाथों लिया और मामले में ‘व्हिसलब्लोअर’ होने का दावा करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को सुरक्षा देने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने शहर के पुलिस आयुक्त को सीए अभिषेक गुप्ता को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। गुप्ता ने घोटाले का पर्दाफाश करने का दावा किया है।

पुलिस ने हालांकि अदालत को बताया कि वे लोग अब भी यह पता लगा रहे हैं कि उन्हें किसी तरह का खतरा तो नहीं है।

अदालत का यह आदेश गुप्ता की ओर से दायर याचिका पर आया है।

टोरेस ज्वैलरी ब्रांड के मालिकाना हक वाली कंपनी पर पोंजी और बहुस्तरीय विपणन (एमएलएम) योजनाओं के जरिये सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है।

इन पोंजी एवं एमएलएम योजनाओं में बहुत अधिक ‘रिटर्न’ का वादा तो किया गया था, लेकिन अंततः भुगतान नहीं किया गया।

पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अब तक इस मामले में दो विदेशी नागरिकों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

गुप्ता ने याचिका दायर करके पुलिस सुरक्षा की मांग की थी, क्योंकि घोटाले के सामने आने के बाद उनकी जान को खतरा होने की आशंका थी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि एक ‘विशेष’ एजेंसी ईओडब्ल्यू ने किस तरह से अपने कदम पीछे खींच लिये, जिससे विदेशी आरोपी को भारत से भागने का मौका मिल गया।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम इस बात से हैरान हैं कि जांच किस तरह से आगे बढ़ रही है। कहीं न कहीं पुलिस जिम्मेदार है। उनके पास बहुत सारी जानकारी थी।’’

गुप्ता ने टोरेस ब्रांड की मूल कंपनी प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड के खातों का ऑडिट किया था।

सीए ने अपनी याचिका में दावा किया कि निवेशकों द्वारा शिकायत दर्ज कराने से महीनों पहले जून 2024 में पुलिस को कथित घोटाले के बारे में सूचना दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अतिरिक्त सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि पुलिस गुप्ता को खतरे की आशंका से संबंधित रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

न्यायाधीशों ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति पुलिस को सूचना दे रहा है, तो उसे बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए।

पुलिस के अनुसार ग्यारह आरोपी फरार हैं, जिनमें से ज्यादातर विदेशी नागरिक हैं और उनके खिलाफ हवाई अड्डों पर ‘लुक-आउट सर्कुलर’ (एलओसी) जारी किए गए हैं।

शिंदे ने पीठ को बताया कि पुलिस ने घोटाले की राशि वसूलने के लिए कदम उठाए हैं और अब तक 25 करोड़ रुपये बरामद किए हैं।

अदालत ने कहा कि यह पूरी वसूली घोटाले की राशि का एक प्रतिशत भी नहीं है।

अदालत ने सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण सबूत हासिल करने में विफल रहने के लिए पुलिस की भी आलोचना की।

खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह एक विशेष एजेंसी है। हम तत्परता की उम्मीद करते हैं; अन्यथा, आरोपी भाग जाएंगे। कंपनी के कार्यालयों एवं उन होटलों से सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करें, जहां आरोपी रुके थे।’’

अदालत ने सहायक पुलिस आयुक्त (ईओडब्ल्यू) को 22 जनवरी को अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहने को भी कहा।

अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि आप किसी को नहीं ढूंढ सकते, इसलिए किसी और को बलि का बकरा न बनाएं। आपको शीघ्र और उचित जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

भाषा सुरेश देवेंद्र

देवेंद्र

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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