मुंबई, छह सितंबर (भाषा) सिंगापुर के उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीश पहली बार शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय की पीठों का हिस्सा बने। इनमें सिंगापुर के प्रधान न्यायाधीश सुंदरेश मेनन भी शामिल रहे।
सिंगापुर के प्रधान न्यायाधीश मेनन ने ऐतिहासिक केंद्रीय न्यायालय कक्ष में बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय तथा न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला के साथ रस्मी तौर पर पीठ साझा की।
पीठ ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संक्षिप्त सुनवाई की।
सिंगापुर के उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति रमेश कन्नन ने बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये के साथ पीठ साझा की, जबकि उस देश के न्यायमूर्ति आंद्रे फ्रांसिस मनियम ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के.आर. श्रीराम और न्यायमूर्ति जितेन्द्र जैन के साथ औपचारिक पीठ साझा की।
अदालत की कार्यवाही शुरू होने से पहले सिंगापुर के प्रधान न्यायाधीश मेनन का स्वागत करते हुए मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आज हमारे बीच सिंगापुर उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश हैं। वह 2015 में यहां बंबई में थे। मैं एक बार फिर उनका स्वागत करता हूं।’’
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बताया कि पीठ उस अदालत कक्ष में बैठी जहां स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ मुकदमा चला था और जहां उन्हें दोषी ठहराया गया था।
सराफ ने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश मेनन सिंगापुर और भारत के बीच वैचारिक सहयोग के संबंध में हमारे अपने भारत के प्रधान न्यायाधीश (डी वाई चंद्रचूड़) के समान विचार रखते हैं।’’
मराठा आरक्षण मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप संचेती ने कहा कि आरक्षण का निर्णय मनमाना और अवैध है।
पीठ ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई की। जाने से पहले प्रधान न्यायाधीश मेनन ने झुककर अदालत में मौजूद सभी लोगों का आभार जताया।
भाषा नेत्रपाल नरेश
नरेश
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